महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर तस्वीर साफ न होने पर राज्यपाल ने राष्‍ट्रपति शासन की सिफारिश की है। यह सिफारिश नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को दी गई डेडलाइन से पहले की गई है। राज्यपाल के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। एनसीपी ने सरकार गठन पर जोड़तोड़ के लिए राज्यपाल से दो दिन का समय मांगा था लेकिन इस मांग को खारिज कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस ने राज्यपाल को केंद्र की कठपुतली करार दिया। वहीं इस फैसले पर नेताओं ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं।

कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा ‘महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का निर्णय बहुत पहले किया जा चुका था। लेकिन माननीय गवर्नर को केंद्र को रिपोर्ट भेजने से पहले आज रात 8.30 बजे तक इंतजार करना चाहिए था। उन्होंने सरकार बनाने के अंतिम विकल्प के रूप में एनसीपी को यह समयसीमा दी थी। प्रथम दृष्टया यह अवैध और असंवैधानिक है।’

शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी नेता ने भी इस फैसले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि ‘राज्यपाल एनसीपी को दी गई समससीमा खत्म होने से पहले ही राष्‍ट्रपति शासन की सिफारिश कैसे कर सकते हैं?’

वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी इस फैसले के आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया ‘महाराष्ट्र के गवर्नर ने आज रात साढ़े 8 बजे की डेडलाइन तय की थी। तो ऐसे में वह इससे पहले ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कैसे कर सकते हैं?’

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि ‘महाराष्ट्र के गवर्नर केंद्र के ‘एजेंट’ की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की है। समय आ गया है कि तीन दलों (शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी) को एकसाथ मिलकर सरकार बना लेनी चाहिए।’

वहीं कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, राज्यपाल ने लोकतंत्र की घोर निंदा की है। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लागू करने में संवैधानिक प्रक्रिया का मखौल बनाया गया है।

महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रपति शासन की सिफारिश

बता दें कि शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए जरूरी समर्थन पत्र सौंपने के वास्ते तीन दिन का वक्त नहीं देने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। शिवसेना ने अविलंब सुनवाई किए जाने के संबंध में रजिस्ट्रार से अनुरोध किया है। शिवसेना ने अतिरिक्त समय न देने के राज्यपाल के निर्णय को असंवैधानिक, अनुचित और दुर्भावनापूर्ण करार दिया। गौरतलब है कि शिवसेना राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से गठबंधन सरकार बनाने का प्रयास कर रही है लेकिन वह दोनों दलों से समर्थन पत्र प्राप्त करने में विफल रही है।