केन्द्र सरकार देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग और रिटेलर कंपनी ‘भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (Bharat Petrolium Corporation Limited. (BP)) में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार देश के ऑयल बिजनेस में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना चाहती है और यही वजह है कि सरकार ने भारत पेट्रोलियम में कुछ हिस्सेदारी बेचने का विचार किया है।
बता दें कि देश के तेल सेक्टर पर लंबे समय से सरकारी कंपनियों का ही दबदबा है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर में इस बात की जानकारी दी गई है। भारत पेट्रोलियम में सरकार की 53.3% हिस्सेदारी है।
केन्द्र की मोदी सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 1.05 ट्रिलियन (14.8 बिलियन डॉलर) रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था। इसके साथ ही सरकार इस साल बजट के अंतर को कुल जीडीपी का 3.3 प्रतिशत रखना चाहती है। उल्लेखनीय है कि धीमी विकास दर के चलते राजस्व कलेक्शन में गिरावट आने का खतरा है, इसके चलते सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और जनकल्याण योजनाओं पर होने वाले खर्च में कटौती करनी पड़ सकती है।
ऐसे में भारत पेट्रोलियम से हिस्सेदारी बेचकर सरकार अपने तय लक्ष्य के 40% को पा सकती है। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।
खबर के अनुसार, भारत पेट्रोलियम में हिस्सेदारी बेचने का विचार अभी शुरुआती दौर में है और अभी यह साफ नहीं है कि अंतिम फैसला आने में कितना वक्त और लगेगा। गौरतलब है कि भारत पेट्रोलियम का निजीकरण का फैसला करने के लिए सरकार को संसद की मंजूरी भी लेनी होगी।
बता दें कि भारत के ऑयल सेक्टर पर सऊदी अरब की कंपनी अरामको, रुस की कंपनी Rosneft PJSC की भी नजर है। रुसी कंपनी ने तो बाकायदा भारतीय बाजार में निवेश भी कर दिया है। इनके अलावा Total SA, Shell और BP Plc जैसी कंपनियां भी भारतीय बाजार में अपना विस्तार करना चाहती हैं।