कांग्रेस से सहयोग के कोई संकेत नहीं मिलने के बीच सरकार ने बुधवार को वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) पर संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की योजना त्याग दी है और लोकसभा और राज्यसभा का सत्रावसान करने का फैसला किया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल और सीसीपीए की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि राजनीतिक हकीकत को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) ने फैसला किया है कि वह राष्ट्रपति से मानसून सत्र का सत्रावसान करने की सिफारिश करेगी।
यह फैसला ऐसे समय में हुआ है जब जीएसटी विधेयक पारित कराने के लिए सरकार के विशेष सत्र बुलाने के प्रयास को कांग्रेस ने एक तरह से नहीं मानने की बात कही। जीएसटी जैसी पहल पर विभिन्न दलों से राजनीतिक परिपक्वता का प्रदर्शन करने का आह्वान करते हुए जेटली ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस का रुख ऐसा है जैसे वह 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे वोट नहीं देने के लिए देश के लोगों को दंडित करने का प्रयास कर रही हो।
जेटली ने कहा-हम प्रयास कर रहे हैं। हम सभी राजनीतिक दलों के संपर्क में हैं। कांग्रेस के अलावा करीब-करीब सभी राजनीतिक दल इस विधेयक के पक्ष में हैं। लोकसभा में कांग्रेस के अलावा सभी दलों ने जीएसटी के पक्ष में मतदान किया। कांग्रेस वाकआउट कर गई, अन्य दलों ने वाकआउट नहीं किया। बकौल जेटली अगर स्थिति बदलती है तब कैबिनेट एक बार फिर इस विषय पर विचार करेगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार एक अप्रैल 2016 की समयसीमा को कायम रख सकेगी, जेटली ने कहा-आपका अनुमान उतना ही अच्छा है जितना मेरा है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन राज्यसभा में अटका हुआ है जहां राजग को बहुमत नहीं है। जेटली ने कहा कि राज्य सभा में विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद अधिक समय नहीं लगेगा क्योंकि सरकार सहायक विधान के साथ तैयार है जिसमें एक केंद्र से पारित होना है और दो राज्यों से।