किसान आन्दोलन के समाप्त होने के करीब सात महीने बाद केंद्र सरकार ने सोमवार को ‘शून्य-बजट आधारित खेती को बढ़ावा देने’ और ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)’ को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। हालांकि एमएसपी पर किसी भी कानूनी गारंटी के बारे में अभी फैसला नहीं लिया गया है और यह किसान संघों के संयुक्त किसान मोर्चा की प्रमुख मांगों में से एक है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया, “माननीय प्रधान मंत्री की घोषणा के अनुसार देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पैटर्न बदलने के लिए शून्य बजट आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए और एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति गठित की जाएगी। समिति में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री शामिल होंगे। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल करेंगे और इसमें कुल 26 सदस्य होंगे।

इस कमेटी में तीन सदस्य संयुक्त किसान मोर्चा के हैं। हालांकि उनके नामों का उल्लेख नहीं किया गया है। जबकि समिति ने अन्य किसान समूहों के प्रतिनिधियों के नामों की घोषणा कर दी है। कमेटी में शामिल अन्य किसान संगठनों के सदस्य गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैय्यद पाशा पटेल हैं।

समिति से फसल विविधीकरण से संबंधित 4 बिंदुओं पर सुझाव देने के लिए भी कहा गया है। इसमें “उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के मौजूदा फसल पैटर्न की मैपिंग, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न को बदलने के लिए विविधीकरण नीति की रणनीति, नई फसलों की बिक्री के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने वाली प्रणाली की व्यवस्था और सूक्ष्म सिंचाई योजना पर समीक्षा और सुझाव शामिल हैं।

कमेटी ने देश की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार कृषि विपणन प्रणाली को मजबूत करने के उपायों की सिफारिश करेगी, ताकि घरेलू और निर्यात अवसरों का लाभ उठाकर किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सके। अधिसूचना के अनुसार कमेटी एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाकर देश के किसानों को ऊचित मूल्य उपलब्ध कराने का सुझाव देगी।