गोवा के पहले मुस्लिम बाल महोत्सव के आयोजकों ने कुछ मुसलमानों के विरोध के बाद एक फैंसी वस्त्र प्रतियोगिता से विवादित उपदेशक जाकिर नाईक का नाम वापस ले लिया है, जिनकी भाव-भंगिमा तथा पहनावे को बच्चे मंच पर प्रस्तुत करने वाले थे। बोर्ड ऑफ इस्लामिक एजुकेशन सेंटर्स के प्रवक्ता आसिफ हुसैन ने कहा कि फैंसी वस्त्र प्रतियोगिता में जिन 20 मुस्लिम व्यक्तित्वों की भाव-भंगिमा तथा पहनावे को बच्चे मंच पर प्रस्तुत करने वाले थे, उस सूची में से जाकिर नाईक का नाम हटा दिया गया है।
हुसैन ने कहा, “कुछ लोगों के विरोध का सम्मान करते हुए आयोजकों ने प्रतियोगिता से नाईक का नाम हटा दिया। नाईक ने मुसलमानों को तालीम प्रदान करने में बड़ा योगदान दिया है। लेकिन हाल में उनसे संबंधित जो कुछ घटनाओं और कुछ हलकों से लोगों का जो विरोध सामने आया है, उसके मद्देनजर हमने उनका नाम हटा दिया है।” बोर्ड ऑफ इस्लामिक एजुकेशन तथा हिकमाह फाउंडेशन के हाउस ऑफ विस्डम द्वारा गोवा में पहला मुस्लिम बाल समारोह ‘तारे जमीं पर’ 26-30 दिसंबर को आयोजित किया जा रहा है।
फैंसी वस्त्र प्रतियोगिता इस समारोह में आयोजित होने वाले कई कार्यक्रमों में से एक है, जिसमें उन लोगों की भाव-भंगिमा तथा पहनावे की नकल की जाती है, जिन्होंने इस्लाम या मुस्लिम समुदाय के लिए अपना योगदान दिया है। जाकिर नाईक वर्तमान में विदेश में हैं। उनके खिलाफ कई एजेंसियां इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकियों को ढाका में हमला करने के लिए उकसाने के मामले की जांच कर रही है। यह आरोप लगने के बाद से नाईक भारत नहीं आए। गौरतलब है कि ढाका हमले से जुड़े कुछ आतंकी जाकिर नाईक से प्रेरित थे। इसके बाद से जाकिर नाईक पर शिकंजा कस गया था। बांग्लादेश सरकार ने नाईक की पीस टीवी पर बैन लगा दिया था। वहीं भारत सरकार ने भी जांच के आदेश दे दिए थे।
नाईक ने 1991 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी। इसके जरिए वे धार्मिक उपदेश देते हैं। उनके उपदेशों में इस्लाम को अन्य धर्मों से श्रेष्ठ बताया जाता है। पिछले दिनों जाकिर नाईक गिरफ्तारी के डर से पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए थे। पिता के अंतिम संस्कार में शरीक न होने के बारे में जब जाकिर नाईक के सहयोगी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जाकिर शरीक हो पाने में सक्षम नहीं थे। विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के जल्द ही विदेशी चंदा लेने पर रोक लगा दी थी।