पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की जांच में हिंदुत्व समूह सनातन संस्था और इसके सहयोगी, हिन्दू जागरण समिति के जुड़ाव की और बातें सामने आई हैं। हाल के दिनों में, इस मामले में दोनों संस्थाओं से जुड़े 6 संदिग्ध पकड़े गए हैं। मामले की जांच कर रही कर्नाटक पुलिस की एक एसआईटी ने पाया है कि आरोपी शूटर, परशुराम वाघमारे (26) को जुलाई 2017 में बेंगलुरु बुलाया गया था। हत्या के मुख्य योजनाकर्ता, अमोल काले (37, हिंदू जागरण समिति का पूर्व संयोजक) ने उसे शहर के बाहरी इलाके में एक दुर्गम घर में ठहराया गया। एसआईटी के अनुसार, वाघमारे को जिस घर में रखा गया, उसे सनातन संस्था से जुड़े व्यक्ति ने किराए पर दिया था। इस व्यक्ति ने कुछ दिनों के लिए जिन ‘दोस्तों’ कों घर दिया, वह इस केस में मुख्य संदिग्ध हैं।
लंकेश के घर से 20 किलोमीटर दूर स्थित घर को जुलाई 2017 में वाघमारे और काले ने अपना बेस बना रखा था। एसआईटी के अनुसार, यहीं पर रहकर वे पत्रकार के घर का सर्वे करते थे और उनकी हत्या की योजना बनाई। इस घर को मूल रूप से बिल्डिंग कॉन्ट्रैक्टर सुरेश कुमार ने जून 2017 के आस-पास किराए पर लिया था। मगर एसआईटी के अनुसार, जुलाई 2017 में ”यहां के निवासी चले गए और संदिग्ध वहां रहे।”
एसआईटी को इस घर की जानकारी काले और सुजीत कुमार उर्फ प्रवीण (हिंदू जागरण समिति, कर्नाटक का पूर्व कार्यकर्ता) की डायरियों से मिली। दोनों को मई में गिरफ्तार किया गया था। एसआईटी को पता चला कि सुरेश ने सुजीत के कहने पर ”दोस्ती में” अपने घर किराए पर दिया। एसआईटी ने सुरेश से पूछा तो उसने कबूल लिया कि 10 दिनों के लिए जब उसका परिवार बाहर था, तो उसने दोस्तों को किराए पर दिया था। हालांकि उसने कहा कि वह हत्या की साजिश से सीधे नहीं जुड़ा था।
सुरेश ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में बयान दिया है कि उसने अपने घर में कई संदिग्धों को पनाह दी क्योंकि उसे उसके दोस्त सुजीत ने ऐसा करने को कहा था। एसआईटी के एक अधिकारी ने कहा, ”हम उसे एक गवाह की तरह देख रहे हैं और अगर हत्या में उसकी भूमिका से जुड़े सबूत मिलते हैं तो पुनर्विचार करेंगे।”
अधिकारी ने इशारा किया कि सुरेश और सुनीत एक दूसरे को सनातन संस्था के जरिए जानते थे। सुरेश और उसके परिवार के कई सदस्य सनातन संस्था और हिन्दू जागरण समिति से जुड़े हुए हैं।