उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया मंगलवार (19 जुलाई, 2022) को पूरी हो चुकी है। 16वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 6 अगस्त को होगा। मतों की गिनती भी उसी दिन होगी। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।

उपराष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा किया जाता है। 16वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में राज्य सभा के 233 सदस्य और 12 मनोनीत सदस्य एवं 543 लोकसभा सदस्य होते हैं। उपराष्ट्रपति के लिए संसद के दोनों सदनों के कुल 788 सदस्य वोट करते हैं।

16वें उपराष्ट्रपति के लिए एनडीए ने जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है , जबकि विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा हैं। उन्होंने मंगलवार (19 जुलाई, 2022) को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। आइए एक नजर डालते हैं उन उपराष्ट्रपति पर, जिन्हें निर्विरोध चुना गया था।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

देश के पहले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शेख खादिर हुसैन ने अपना नामांकन दाखिल किया। रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा शेख खादिर हुसैन का नामांकन खारिज किए जाने के बाद डॉ राधाकृष्णन अकेले उम्मीदवार थे। उन्हें 25 अप्रैल, 1952 को उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। डॉ. राधाकृष्णन ने 13 मई, 1952 को भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था। उस समय मतदाताओं की कुल संख्या 715 थी।

1957 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन फिर उपराष्ट्रपति चुने गए और इस बार भी वो निर्विरोध चुने गए। उनका कार्यकाल 12 मई, 1957 को समाप्त होने वाला था, और उन्होंने 13 मई को भारत के दूसरे उपाध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया।

मोहम्मद हिदायतुल्लाह

1979 के उपराष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद हिदायतुल्ला को निर्विरोध चुना गया था। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति के परिणामस्वरूप उन्हें भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया था और उन्होंने 31 अगस्त, 1979 को उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण किया। वह फरवरी 1968 से दिसंबर 1970 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश थे। इसके अलावा, मोहम्मद हिदायतुल्ला ने भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा

1987 के उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 27 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था, लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर ने सिर्फ डॉ. शंकर दयाल शर्मा के नामांकन को ही वैध बताया था। नाम वापसी की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद डॉ. शंकर दयाल शर्मा को निर्विरोध देश का उपराष्ट्रपति चुना गया था

डॉ. शर्मा ने 3 सितंबर, 1987 को उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण किया। 1987 में मतदाताओं की कुल संख्या 790 थी। मध्य प्रदेश के रहने वाले डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया था। इसके अलावा, उन्होंने महाराष्ट्र, पंजाब और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर भी कार्य किया।