पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां दिल्ली दंगा मामले में आरोपी हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि मंडोली जेल में उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। इशरत ने कोर्ट को बताया कि आतंकी कहकर उनकी पिटाई की गई। दूसरी बार जहां ने कोर्ट को जेल में यातना देने की बात बताई है। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीने से जेल में उनपर अत्याचार किए जा रहे हैं। एक बार हाथ काट दिया गया और उनसे पैसे मांगे जाते हैं। उन्होंने तिहाड़ जेल में शिफ्ट किए जाने का आवेदन भी दिया था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से उनकी अर्जी ठुकरा दी गई।
पूर्व पार्षद ने कोर्ट को बताया, ‘एक महीने में दूसरी बार है जब सुबह 6:30 बजे साथी कैदियों ने मुझे भद्दी गालियां दीं और बुरी तरह पीटा।’ दिल्ली में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने इशरत जहां को गैरकानूनी गतिविधि कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया था। मंगलवार को जज अमिताभ रावत ने इशरत जहां की अर्जी पर सुनवाई की। उन्होंने जेल प्रशासन को इशरत की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने जेल प्रशासन से कहा है कि उचित कदम उठाने के बाद कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए।
जस्टिस रावत ने मंडोली जेल के असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट को मामले की जांच करके कार्रवाई करने का अदेश दिया है। जज ने कहा, मैं अब और नहीं सुनना चाहता कि किसी की भी कैदी पिटाई करें। जहां की तरफ से कोर्ट में पेश वकील प्रदीप तेवतिया ने कहा, एक कैदी पहले भी इशरत की पिटाई कर चुकी है। डेप्युटी सुपरिंटेंडेंट के पास इसकी शिकायत की गई थी। दो महिलाएं उनकी शेल में हैं जो कि पिटाई करती हैं। वह सुबह की नमाज पढ़ रही थीं तो उन महिलाओं ने आपत्ति जताई और पिटाई शुरू कर दी।
जहां ने यह भी बताया कि उन्हें चिकित्सकीय सहायता की जरूरत थी लेकिन उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया गया और न किसी तरह का इलाज करवाया गया। वकील का कहन है कि दंगे के ज्यादातर आरोपियों के साथ जेल में दुर्व्यवहार किया जा रहा है। कई बार साथी कैदी ऐसा करते हैं तो कई बार जेल प्रशासन उन्हें परेशा्न करता है। वे आरोपियों को सीधा आतंकवादी घोषित कर देते हैं। इसलिए इसकी कोर्ट द्वारा प्रॉपर मॉनिटरिंग करने की जरूरत है। इसपर जस्टिस रावत ने कहा कि आरोपी केवल आरोपी है, वह दोषी नहीं है। जामिया के छात्र आसिफ इकबाल पर भी साजिश का मामला चल रहा है। उनका भी आरोप है कि जेल में अकसर उन्हें आतंकवादी कहकर संबोधित किया जाता है।