Chaudhary Charan Singh Bharat Ratna: किसानों के मसीहा कहे जाने वाले देश के पांचवें पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजा जाएगा। पीएम मोदी ने इस बात का ऐलान किया है। पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े किस्से इतने दिलचस्प हैं कि हर कोई उनसे प्रेरणा लेना चाहता है। देश को आजाद करवाने की लड़ाई हो या इंदिरा गांधी के आपातकाल के विरोध में आंदोलन, दोनों में ही उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। वह एकमात्र ऐसे पीएम हैं, जो एक भी दिन संसद नहीं गए। इससे पहले ही स्थिति कुछ इतनी विकट हो गई कि उन्हें अपने पद से हटना पड़ा।
साल 1975 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। कांग्रेस पार्टी का हिस्सा रहे चौधरी चरण सिंह ने इसका सिरे से विरोध किया। इसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा। हालांकि, आपातकाल के बाद दोबारा से लोकसभा चुनाव का आयोजन किया गया और इंदिरा गांधी को इनमें करारी शिकस्त मिली।
देश में पहली बार गैर कांग्रेसी गठबंधन की सरकार का गठन किया गया। जनता पार्टी के नेतृत्व में मोरारजी देसाई ने सरकार बनाई और चौधरी चरण सिंह को उसमें गृह मंत्री का प्रभार दिया गया। हालांकि, मोरारजी देसाई भी अपने पद पर काफी समय तक नहीं टिक पाए और उनकी सरकार गिर गई।
चौधरी चरण सिंह बने पीएम
कांग्रेस और सीपीआई के द्वारा दिए गए समर्थन से 29 जुलाई, 1979 को चौधरी चरण सिंह को पीएम बनाया गया। राष्ट्रपति संजीव रेड्डी ने उनसे कहा कि वह 20 अगस्त तक लोकसभा में बहुमत साबित करें। हालांकि, पीएम बनने के बाद उनके पास सरकार चलाने की जो शक्ति चाहिए थी वह उनके पास नहीं थी। इंदिरा गांधी ने उन्हें समर्थन देने से साफ इनकार कर दिया था। वह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक ही पीएम रहे।
इंदिरा गांधी ने रखी शर्त
इंदिरा गांधी ने शर्त दी थी कि उनके और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जो मामले दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस ले लिया जाए। यह शर्त चौधरी चरण सिंह को बिल्कुल भी मंजूर नहीं थी। फिर क्या था उन्होंने 21 अगस्त 1979 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह केवल साढ़े पांच महीनों तक ही पीएम के पद पर रहे थे और इस दौरान संसद का कोई भी सत्र नहीं होने की वजह से वह संसद भी नहीं जा सके। वह एकमात्र ऐसे पीएम रहे, जिन्होंने संसद का सामना नहीं किया। उनके इस्तीफा सौंपने के बाद दोबारा से चुनाव हुए और इंदिरा गांधी दोबारा से देश की प्रधानमंत्री के रूप में चुनकर आईं।