हरियाणा में कांग्रेस के बड़े पदों पर फेरबदल के बाद ऐसा महसूस नहीं होता कि प्रदेश की राजनीति में सबकुछ सामान्य है। खबर है कि हरियाणा इकाई के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने बीते शनिवार को उस कार्यक्रम में जाने से परहेज किया जिसमें प्रदेश इकाई की इंचार्ज बनी कुमारी शैलजा पदभार संभालने वाली थीं। उन्होंने शैलजा के टेलीफोन कॉल का जवाब भी नहीं दिया। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली कॉन्फिडेंशियल पेज पर छपी एक खबर के मुताबिक अशोक तंवर ने प्रदेश के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, यहां तक हरियाणा प्रभावी गुलाम नबी आजाद तक का फोन नहीं उठाया।

तंवर के अलावा हरियाणा सीएलपी लीडर किरण चौधरी ने भी कार्यक्रम में जाने से परहेज किया। राज्य में पार्टी के दो प्रमुख नेताओं की कार्यक्रम में गैरमौजूदगी ने आजाद के सामने भी असहज स्थिति पैदा कर दी। आजाद ने कहा, ‘गुटबाजी (प्रदेश इकाई में) का सवाल ही नहीं।’ तंवर और चौधरी की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा, ‘वे किसी कारण से नहीं आ सके होंगे।’ उन्होंने जल्दबाजी में कहा, लेकिन दोनों को कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए था। आजाद ने संवाददाताओं को बताया, ‘यह (संगठन में बदलाव) एक सतत प्रक्रिया है। संगठन में हमेशा बदलाव होता रहता है। कोई भी अपनी पूरी जिंदगी के लिए पद पर नहीं रहता है।’

जो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के करीबी हैं उन्होंने बताया कि तंवर के कार्यकाल के दौरान उन्हें हुड्डा और शैलजा से कोई सहयोग नहीं मिला। इसके अलावा हुड्डा और उनके समर्थकों ने कभी उन मीटिंग में भाग नहीं लिया जो अशोक तंवर द्वारा आयोजित की गई हों। करीबी ने आगे कहा कि इसलिए शायद अब वो वक्त आ गया जब तंवर भी उनके साथ ऐसा ही बर्ताव करें। इसके अलावा कांग्रेस आलाकमान द्वारा तंवर और चौधरी को राज्य में चुनावों से पहले हटाए जाने से उनके समर्थकों ने फैसले पर निराशा जाहिर की थी।  (जनसत्ता इनपुट सहित)