गोवा के जिला और सत्र न्यायालय ने तहलका मैगजीन के संस्थापक और पूर्व एडिटर-इन-चीफ तरुण तेजपाल को यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के सभी आरोपों से बरी कर दिया है। इस बीच गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि वे सत्र न्यायालय के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस केस को लेकर बेहद गंभीर है। तेजपाल पर 2013 में गोवा के एक लग्जरी होटल में लिफ्ट के भीतर एक महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था। उन्हें इस मामले में 2014 में जमानत मिल गई थी।

बरी होने के बाद जारी किया बयान: तरुण तेजपाल की बेटी ने पिता के बरी होने के बाद उनका बयान जारी किया। इसमें तरुण तेजपाल ने अपने एक वकील राजीव गोम्स की कोरोना से हुई मौत पर दुख जताया और उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि गोम्स एक शानदार वकील थे, जिनका राष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त करियर था। तेजपाल ने गोम्स की तारीफ करते हुए कहा, “मेरी जिंदगी और सम्मान को वापस दिलाने में किसी ने इतनी कठिन लड़ाई नहीं लड़ी, जितनी राजीव ने अपने बेहतरीन कौशल से लड़ी।

तेजपाल ने बताया, “राजीव मुझसे कहते थे कि वे सिर्फ पैसे का मजा लेते हैं, वे इसके लिए काम नहीं करते।” तेजपाल ने बताया कि गोम्स उनसे हमेशा कहते थे कि उन्हें भगवान ने बेकसूरों की लड़ाई लड़ने के लिए भेजा है।” उन्होंने आगे कहा कि एक परिवार के तौर पर हम हमेशा राजीव के कर्जदार रहेंगे। हम उनके पत्नी शेरिल और बेटे शॉन के प्रति भी संवेदना प्रकट करते हैं। कोई भी क्लाइंट अपने लिए राजीव से बेहतर वकील की उम्मीद नहीं कर सकता।

तहलका मैगजीन के संस्थापक ने बताया कि उन पर लगे झूठे आरोपों की वजह से पिछले साढ़े सात साल उनके परिवार के लिए अघातकारी रहे। इससे उनके निजी, पेशेवर और सार्वजनिक जीवन के हर पहलू पर असर पड़ा। इसके बावजूद हमने गोवा पुलिस के साथ पूरी तरह सहयोग किया और सैकड़ों सुनवाई के बाद हमने कानून के हर सिद्धांत का पालन किया।

तेजपाल ने पिछले 8 साल में अपनी सहायता के लिए आगे आने वाले वकीलों का भी शुक्रिया जताया। उन्होंने बताया कि कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, प्रमोद दुबे समेत कई वकीलों ने उनकी मदद की। तरुण तेजपाल ने आगे अपील करते हुए कहा कि उनके परिवार की निजता का सम्मान किया जाना चाहिए। इस दौरान वे अपनी टूटी जिंदगियों को ठीक करने की कोशिश करेंगे।

2013 में दर्ज हुआ था केस, पर मिल गई थी जमानत:  बता दें कि गोवा पुलिस ने नवंबर 2013 में तेजपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। वह मई 2014 से जमानत पर रिहा हैं। अतिरिक्त जिला अदालत पहले इस मामले में 27 अप्रैल को फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन न्यायाधीश क्षमा जोशी ने कोरोना महामारी और कर्मचारियों की कमी के चलते फैसला पहले 12 मई और फिर 21 मई तक टाल दिया था।

गोवा पुलिस ने तेजपाल पर लगाई थीं आईपीसी की आधा दर्जन धाराएं: गोवा की अपराध शाखा ने तेजपाल के खिलाफ 2846 पन्नों का एक आरोपपत्र दाखिल किया था। तेजपाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 341 (गलत तरीके से रोकने), 342 (गलत तरीके से रोककर रखना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से प्रताड़ना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 354 बी (महिला पर हमला या आपराधिक रूप से बल का इस्तेमाल), 376 (2) (एफ) (महिला से ऊंचे पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा बलात्कार) और 376 (2) (के) (ऊंचे पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा दायर था।

तेजपाल ने अपने खिलाफ आरोप तय किए जाने पर रोक लगाने के लिए बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।