भारत में हर साल 67 लाख टन खाना बर्बाद हो जाता है। एक सरकारी अध्ययन में यह आंकड़ा सामने आया है। कृषि मंत्रालय की फसल अनुसंधान इकाई सिफेट ने यह अध्ययन किया है। भारत में हर साल जितना खाना बर्बाद होता वह ब्रिटेन के राष्ट्रीय उत्पादन से ज्यादा है। साथ ही इतना खाना बिहार के लिए सालभर के लिए काफी होता। यह अध्ययन देश में 14 एग्रीकल्चरल जोन के 120 जिलों में किया गया है। अध्ययन के अनुसार बर्बाद हुए खाने का मूल्य 92 हजार करोड़ रुपये है। यह रकम भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के तहत खर्च की जाने वाली रकम का दो-तिहाई है।
अध्ययन के अनुसार फल, सब्जियां और दालें सबसे ज्यादा बर्बाद की गईं। इसके अनुसार खाद्यानों का सड़ना, जरूरत से ज्यादा खाना, कीट, मौसम और स्टोरेज की कमी बर्बादी के सबसे बड़े कारण हैं। फसलों की बात करें तो 10 लाख टन प्याज खेतों से मार्केट में आने के रास्ते में ही बर्बाद हो गया। वहीं 22 लाख टन टमाटर भी रास्ते में ही खराब हो गए। इसी तरह से 50 लाख अंडे कोल्ड स्टोरेज के अभाव में सड़ गए या फूट गए। इस बर्बादी को रोकने के लिए कोल्ड स्टोरेज निर्माण और किसानों को प्रशिक्षण देने पर जोर दिया गया है। अध्ययन का कहना है, ”प्रत्येक ऑपरेशन और स्टेज में कुछ नुकसान होता है। इस प्रकार से कृषि उत्पादों की बड़ी मात्रा खाने की थाली तक पहुंच नहीं पाते हैं।” यह अध्ययन दो साल पहले मिली जानकारी को अपडेट करने के लिए कराई गई है। तीन साल पहले संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा था कि भारत में चीन के बाद सबसे ज्यादा कृषि उत्पाद बर्बाद होते हैं।