उपभोग क्षेत्र में छायी मंदी का असर ऑटो सेक्टर के साथ ही FMCG (Fasr Moving Consumer Goods) पर भी पड़ा है। बता दें कि FMCG कंपनियों के प्रोडक्ट जैसे साबुन, बिस्कुट और रोजमर्रा की जरुरतों के अन्य सामानों की बिक्री में गिरावट आयी है। एफएमसीजी कंपनियों का भी मानना है कि मंदी का असर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है और खासकर उत्तर भारत का इलाका इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है।
बीते एक साल में एफएमसीजी कंपनियों के उत्पादन और बिक्री में कमी आयी है। देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी हिन्दुस्तान यूनिलीवर के उत्पादन में 7% प्वाइंट की कमी आयी है। वहीं ब्रिटैनिया इंडस्ट्रीज के उत्पादन में भी 7% प्वाइंट की गिरावट आयी है। हालांकि डाबर इंडिया ने बीते एक साल के दौरान थोड़ी वृद्धि दर्ज की है। वार्षिक थोक मुद्रा स्फीति भी जुलाई माह में 1.08 प्रतिशत रही, जो कि बीते 25 महीनों में सबसे कम है।
बाजार के जानकारों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि संकट के चलते नकदी की कमी है। ऐसे में ग्रामीण उपभोक्ताओं के पास पैसों की कमी है और इसका असर बाजार पर पड़ रहा है। तंबाकू और पेपर क्षेत्र की दिग्गज कंपनी आईटीसी लिमिटेड ने अपने वित्तीय नतीजों में यह स्वीकार किया है कि कंपनी का पैकेजिंग और प्रिंटिंग बिजनेस ताजा मंदी से प्रभावित हुआ है।
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बता दें कि देश में ऑटो सेक्टर भी इन दिनों मंदी की चपेट में आया हुआ है। इससे ऑटो सेक्टर में उत्पादन प्रभावित हुआ है। एफएमसीजी सेक्टर की तरह ऑटो सेक्टर में भी ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी जा रही है। हाल ही में खबर आयी थी कि देश में 286 डीलरशिप आउटलेट बंद हो चुके हैं। वहीं बीती तिमाही में 15,000 के करीब नौकरियां जा चुकी हैं।