उत्तरी कश्मीर के बांदीपुरा कस्बे में अब्दुल खालिक उर्फ जमाल अफगानी के नाम पर पहली बार आयोजित हुई प्रतियोगिता का पहला मैच मंगलवार को शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में खेला गया। इस मौके पर कस्बे के मुख्य मौलाना बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। टूर्नामेंट में घाटी की 32 फुटबॉल टीमें हिस्सा ले रही हैं। बता दें कि बांदीपुर के कलूसा गांव का रहने वाला जमाल अफगानी 90 के दशक की शुरुआत में उत्तरी कश्मीर की जिहादी सेना का प्रमुख कमांडर था। जिस वक्त सुरक्षा बलों ने उसे पकड़ा, वो सिर्फ 36 साल का था। बाद में उसकी लाश उसके घरवालों को सौंप दी गई।
पहले मैच को देखने के लिए सैकड़ों फुटबॉल प्रेमी और गांववाले जुटे। जिस स्टेडियम में ये टूर्नामेंट खेला जा रहा है, उसे भारतीय सेना और हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया है। टूर्नामेंट को डिस्ट्रिक्ट स्पोटर्स एसोसिएशन बांदीपुर के सहयोग से एक लोकल क्लब आयाेजित कर रहा है।
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टूर्नामेंट के आयोजकों में से एक आसिफ इकबाल कहते हैं, घाटी की सभी सम्मानित टीमें इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही हैं। ये सच है कि इस टूर्नामेंट का नाम जमाल साहब के नाम पर रखा गया है। वे खुद एक खेल प्रेमी और अच्छे फुटबॉलर थे और यही एक बड़ी वजह है कि हमने उनके नाम पर टूर्नामेंट का नाम रखने की सोची।” आसिफ ने यह भी बताया कि लोकल क्लब का नाम भी जमाल के नाम पर है।
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इसी साल फरवरी में जम्मू कश्मीर के त्राल में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी के नाम पर क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था। इस टूर्नामेंट में शामिल हुई 16 टीमों में से 3 के नाम आतंकियों के नाम पर थे। यह प्रतियोगिता हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान मुजफ्फर वानी के भाई खालिद की याद में आयोजित की गई। खालिद पिछले साल पुलवामा के जंगलों में मारा गया था। सेना का कहना था कि खालिद आतंकी था और मुठभेड़ में मारा गया।