तमिलनाडु विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एम के स्टालिन और 59 अन्य द्रमुक विधायकों पर रविवार (21 अगस्त) को पुलिस ने मामला दर्ज किया। सदन से अपने निलंबन के विरोध में प्रदर्शन करने पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘स्टालिन और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 143 (गैर-कानूनी तरीके से इकट्ठा होना) और 188 (लोक सेवक की ओर से जारी उचित आदेश की अवज्ञा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।’ मामला दर्ज किए जाने पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए स्टालिन ने कहा कि उन्हें शक था कि उन्हें आज (रविवार, 21 अगस्त) गिरफ्तार किया जा सकता है। नागरकोइल में एक शादी समारोह में स्टालिन ने कहा, ‘मुझे शक था कि कहीं यहां आते वक्त मुझे गिरफ्तार तो नहीं कर लिया जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘बहरहाल, मामला जमानती धाराओं में दर्ज किया गया है।’
17 अगस्त को विधानसभा में उस वक्त हंगामेदार स्थिति देखी गई जब स्पीकर पी धनपाल ने सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने के आरोप में द्रमुक विधायकों को सामूहिक तौर पर सदन से बाहर निकाल दिया और निलंबित कर दिया। शुरुआत में 80 विधायकों को निलंबित किया गया, लेकिन बाद में एक विधायक का निलंबन वापस ले लिया गया, क्योंकि वह हंगामे के दौरान सदन में मौजूद नहीं था। सत्ताधारी अन्नाद्रमुक के एक विधायक की ओर से स्टालिन की कथित खिल्ली उड़ाने वाली टिप्पणी पर सदन में हंगामा हुआ था।
अगले दिन स्टालिन और अन्य ने सचिवालय परिसर में अपने दफ्तरों में दाखिल होने की कोशिश की थी, लेकिन मार्शलों ने उन्हें रोक दिया था । बाद में द्रमुक विधायक वहां धरने पर बैठ गए थे। शुक्रवार (19 अगस्त) को अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखते हुए द्रमुक सदस्यों ने सदन में पार्टी के उप-नेता दुरई मुरूगन के साथ एक ‘मॉडल विधानसभा’ आयोजित की थी। इसमें मुरूगन ने स्पीकर की भूमिका निभाई थी। यह उस वक्त आयोजित किया गया था जब विधानसभा की कार्यवाही चल रही था। द्रमुक ने मद्रास उच्च न्यायालय का रुख कर अपने विधायकों के निलंबन को रद्द करने की गुहार लगाई है।