देश के सबसे मशहूर और पसंदीदा आर्मी जनरल में शुमार किए जाने वाले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की आज 104वीं जयंती है। बता दें कि सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के पहले जनरल थे, जिन्हें प्रमोट कर फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी। सैम मानेकशॉ जितनी अपनी नेतृत्व क्षमता और बहादुरी के लिए जाने जाते हैं, उतना ही वह अपनी बातों से लोगों को प्रेरित करने के लिए भी याद किए जाते हैं। बता दें कि जब साल 1971 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से लड़ाई के लिए तैयार रहने पर सवाल किया था तो सैम मानेकशॉ ने कहा था –  ‘आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी’ (मैं हमेशा तैयार हूं स्वीटी)। सैम मानेकशॉ द्वारा कही गई ये बात बड़ी प्रसिद्ध हुई थी। साल 1971 में लड़े गए भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ थे। सैम मानेकशॉ ने अपने 4 दशक लंबे सैन्य करियर में 5 लड़ाइयों में हिस्सा लिया। सैम मानेकशॉ ने 27 जून, 2008 को आखिरी सांस ली थी। आज मानेकशॉ हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कही बातें हमें प्रेरित कर रही हैं। मानेकशॉ के कुछ और प्रेरक बयान निम्न हैं।

एक बार इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से पूछा था कि क्या वह उनकी सरकार के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश कर रहे हैं? इस पर सैम मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी को जवाब देते हुए कहा था कि आप जानती हैं कि मुझे कोई राजनैतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। मेरा काम है अपनी सेना को देखना और आपका काम है देश को देखना।

सैम मानेकशॉ गोरखा सिपाहियों की बहादुरी के कायल थे। जब एक बार मानेकशॉ भारतीय सेना के जवानों को बहादुरी के लिए वीरता मेडल से सम्मानित कर रहे थे, तब उन्होंने कहा था कि अगर कोई इंसान ये कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता तो या तो वह झूठ बोल रहा है या फिर वह गोरखा है।

देश की लीडरशिप को लेकर मानेकशॉ काफी मुखर रहे। एक बार जब उनसे राजनेताओं की सैन्य समझ पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि मुझे आश्चर्य होगा अगर कोई हमारा राजनेता, जिसे देश की सुरक्षा का चार्ज सौंपा गया है, मोर्टार और मोटर, गन और होवित्जर और गोरिल्ला और गुरिल्ला में अंतर बता सके।

लीडरशिप पर दिए अपने एक बयान में मानेकशॉ ने कहा था कि मुझे एक ऐसा आदमी या औरत बताइए, जिसमें कॉमन सेंस हो। मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि मैं उसे लीडर बना सकता हूं।

मानेकशॉ ने एक सच्चे लीडर की खासियत बताते हुए कहा था – ‘हमेशा हां में हां मिलाने वाला इंसान काफी खतरनाक होता है। वह काफी दूर तक जाता है। वह एक नेता बन सकता है, एक सचिव या फिर फील्ड मार्शल भी बन सकता है, लेकिन वह लीडर कभी नहीं बन पाएगा और ना ही कभी लोगों का सम्मान पा सकेगा। ऐसा इंसान अपने वरिष्ठों द्वारा इस्तेमाल किया जाएगा, सहयोगियों द्वारा नापसंद और अधीनस्थों द्वारा अपमानित किया जाएगा। इसलिए हां में हां मिलाने वाले व्यक्ति को छोड़ें।’