पूर्णबंदी में रबी की कटाई के लिए खेती किसानी को मिली सशर्त छूट के बीच एक समस्या फसलों के भंडारण और उपार्जन को लेकर खड़ी हो गई है। भंडारण और उपार्जन को लेकर कई जगह स्थानीय प्रशासन ने रोक लगा दी है। लिहाजा फसलों के पुनर्खरीद न होने से किसानों को तुरंंत मिल सकने वाले पैसे से वंचित होना पड़ रहा है। खरीब के फसलों की तैयारी प्रभावित होने का अंदेशा खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ का कहना है कि रबी के फसलों की कटाई, खुदाई, मड़ाई, सफाई, सुखाई, छंटाई आदि प्रक्रिया में किसानों ने सरकार के सभी शर्तों का पालन शुरू कर दिया है। लेकिन भंडारण और फसलों को बेचकर पैसा कमाने के लिए वे वहीं खड़े हैं जहां वे कर्फ्यू पास मिलने के पहले खड़े थे।
महासंघ ने कहा -राज्य सरकारों, स्थानीय प्रशासनों को व्यवहारिकता को समझना होगा। किसान अपनी फसलें बेच कर अपना कर्ज चुकाता है। जरुरी खर्चों का इंतजाम करता है व खरीफ की फसलों की बुआई की तैयारी करता है। केंद्र सरकार के आदेश के बावजूद किसानों की फसल खरीदी संबंधी कोई भी आदेश राज्य सरकारों ने जारी नहीं किया है। इससे स्थानीय स्तर पर भ्रम की स्थिति है। महासंघ के युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा-केंद्र सरकार का फसल खरीदी का आदेश होने के बावजूद मध्यप्रदेश सरकार ने फसल खरीदी को स्थगित कर दिया। उन्होंने बताया कि महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्काजी ने इस बाबत मध्यप्रदेश सरकार को पत्र लिखकर किसानों की व्यवहारिकता को समझने की अपील की है। शासन के आदेश को वापस लेने की मांग की है।
साथ ही सभी राज्यों से यह दरखास्त भी की है कि वे केंद्र सरकार के आदेश के पक्ष में फसल खरीदी संबंधी आदेश अपने अपने यहां जल्द जारी करें। बकौल कक्काजी अगर इस समय किसानों की फसलों की खरीदी नहीं हुई तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जरूरी धनराशि नहीं आ पाएगी। अगर किसानों की फसलों का सही से भंडारण नहीं किया गया तो आने वाले समय में खाद्यानों की कमी का सामना देश को करना पड़ सकता है। देश की 60 फीसद लोग प्रभावित होंगे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने किसानों के लिए जो जरूरी पैमाना तय किया है उसका पूरे देश में पालन हो रहा है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए जारी दिशानिर्देश में कंबाइन हार्वेस्टर (कृषि यंत्र) और कृषि-बागवानी उपकरणों की कटाई और बुआई संबंधित मशीनों की अंतर-राज्य आवाजाही को भी शामिल किया गया है। किसान नेताओं ने कहा यदि पूर्णबंदी में किसानी पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थितियां और बिगड़ेंगी।
उन्होंने मांग की कि किसानों के उत्पादों को गांव में ही खरीदने की व्यवस्था की जाए। उनका सुझाव था कि उसके लिए फूड कारपोरेशन आफ इंडिया के अधिकारियों को गांवों में ही भेजा जाए। अंतरराज्यीय सीमाओं पर इस बाबत साफ निर्देश पहुंचाने की व्यवस्था करें। उन्होंने कहा- कृषि उत्पादों, खेती किसानी उत्पादों को थोक मंडी तक लाने में आने वाली व्यवहारिक दिक्कतों को सरकार दूर करे।

