देशभर के किसान सड़कों पर उतर आए हैं। यह पहली बार नहीं है जब किसान सड़कों पर उतरे हैं। केवल इसी साल की बात करें तो पिछले 9 महीनों में ही किसान 50 बार प्रदर्शन कर चुके हैं। किसानों के ज्यादातर प्रदर्शन जो हुए हैं वह हरियाणा और पंजाब में हुए हैं। अभी चल रहे प्रदर्शन की बात करें तो किसान नए कृषि विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें डर है कि कहीं ऐसा न हो कि सरकार मंडियों को ही खत्म कर दे। हालांकि कृषि मंत्री लगातार कह रहे हैं कि ऐसा नहीं होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री का कहना है कि इससे न तो एमएसपी और न ही मंडियां खत्म होंगी, लेकिन किसान सरकार की इस बात पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है।
9 अगस्त को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कहने पर किसानों ने प्रदर्शन किया था। इस विरोध प्रदर्शन में करीब 250 किसान संगठनों ने कॉरपोरेट भगाओ, देश बचाओ के नारे के साथ प्रदर्शन किए थे। जिन राज्यों में प्रदर्शन हुए हैं उनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और शामिल हैं। इन राज्यों में इस साल 50 बार विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं।
अभी जो प्रदर्शन हो रहा है इसके अलावा कर्नाटक के किसानों ने 28 सितंबर को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। कर्नाटक के किसान संगठनों ने राज्य और संघीय सरकारों की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में यह बंद करने का फैसला किया है। तीन कृषि विधेयकों के अलावा किसान कीटनाशक प्रबंधन विधेयक, 2020 का भी विरोध कर रहे हैं।
खरीद के खराब प्रबंधन के कारण भी किसानों में असंतोष है। इस साल छत्तीसगढ़ में किसान फरवरी में सरकार की धान खरीद प्रक्रिया में अनियमितताओं के विरोध में सड़कों पर उतरे थे। 2018 में, NCRB के अनुसार, 2016 में जहां किसानों ने असम में चार प्रदर्शन किए थे, 2018 में इनकी संख्या बढ़ कर 37 हो गई। स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2019 के आंकड़ों के अनुसार 2018 में 15 राज्यों में 37 प्रदर्शन दर्ज किए गए।
