Jal Jeevan Mission Scheme: मोदी सरकार की महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन में आर्थिक अनियमितताएं सामने आने के बाद 15 राज्यों में 596 अधिकारियों, 822 ठेकेदारों और 152 थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसियों (TPIA) के खिलाफ जाँच की जा रही है।
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कई मामलों में सीबीआई, लोकायुक्त और अन्य भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसियां भी जांच कर रही हैं। इन 15 राज्यों में जल जीवन मिशन को लेकर 16,634 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 16,278 मामलों में जांच रिपोर्ट भी तैयार की गई है। सबसे अधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई हैं, जहां 14,264 शिकायतें दर्ज हुईं। असम में 1,236 और त्रिपुरा में 376 मामले दर्ज किए गए हैं।
एक तरफ इतनी बड़ी संख्या में शिकायतें सामने आई हैं, तो दूसरी ओर अधिकारियों के खिलाफ एक्शन भी हुआ है। उत्तर प्रदेश में 171 अधिकारी, राजस्थान में 170 अधिकारी, और मध्य प्रदेश में 151 अधिकारी कार्रवाई की जद में आए हैं। इसी तरह, कई ठेकेदार भी कार्रवाई से नहीं बच पाए। त्रिपुरा में 376, उत्तर प्रदेश में 143, और पश्चिम बंगाल में 142 ठेकेदारों के खिलाफ कदम उठाए गए हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जिन राज्यों से कार्रवाई या अनियमितता की रिपोर्ट आई है, उनमें छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और उत्तराखंड शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार, अक्टूबर 2024 में डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन (DDWS) ने एक निर्देश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जल जीवन मिशन के तहत चल रही सभी परियोजनाओं की जमीन पर जाकर समीक्षा की जाए। इससे पहले केंद्र सरकार ने भी एक नोडल अधिकारियों की टीम बनाई थी, जो इस मिशन की प्रगति की निगरानी कर रही है।
जनसत्ता के सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस ने इसी साल 21 मई को प्रकाशित अपनी पड़ताल में खुलासा किया था कि जल जीवन मिशन की गाइडलाइनों में तीन साल पहले किए गए बदलावों के कारण कई परियोजनाओं की लागत काफी बढ़ गई थी। पड़ताल के मुताबिक, जल जीवन मिशन के तहत चल रही 14,586 योजनाओं में कुल 16,839 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ।
जल जीवन मिशन की शुरुआत मोदी सरकार ने 2019 में की थी, जिसका उद्देश्य था कि 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल से जल कनेक्शन पहुंचाया जाए। यह मिशन 2024 में समाप्त घोषित कर दिया गया था। हालांकि, 1 फरवरी 2025 को बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि इस योजना के लिए 2028 तक आर्थिक सहायता जारी रखी जाएगी। लेकिन अब तक कैबिनेट ने इस बजटीय प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है।
वहीं, कुछ राज्यों- हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, नागालैंड, ओडिशा, पुदुचेरी, पंजाब और तमिलनाडु ने इस संबंध में कोई जानकारी साझा नहीं की है। इस सूची में बिहार और तेलंगाना भी शामिल हैं, लेकिन इन दोनों राज्यों में अपने स्तर पर नल कनेक्शन से जुड़ी कुछ योजनाएं अभी भी चल रही हैं।
पिछले महीने DDWS ने कई राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा था कि 20 अक्टूबर तक रिपोर्ट दी जाए। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट करने को कहा गया था कि जल जीवन मिशन में खराब काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, कितनों पर एफआईआर दर्ज की गई, और रिकवरी एक्शन कहां तक पहुंचा है।
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