पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान पर अभी भी सियासी गहमागहमी थमी नहीं है। जहां कांग्रेस से जुड़े नेता या अल्पसंख्यक समुदाय से आनेवाले बुद्धिजीवी उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, वहीं भाजपा या संघ से जुड़े लोग उनके बयान को सीमित दायरे में मान रहे हैं लेकिन कम ही लोगों को पता है कि 10 सालों तक उप राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी यदा-कदा ऐन मौकों पर मुस्लिमों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना की बात करते रहे हैं। हालांकि, अपने विदाई भाषण में भी अंसारी ने राज्यसभा में कहा, “मैं आज पूर्व राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन के वही शब्द दोहराना चाहता हूं जो मैंने 2012 में कहे थे। एक लोकतंत्र की पहचान इस बात से होती है कि वो अपने अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा दे सकती है। साथ ही किसी लोकतंत्र में अगर विपक्ष को सरकारी नीतियों की समीक्षा या आलोचना करने का अधिकार नहीं मिलता तब वो तानाशाही में तब्दील हो जाती है।”
इससे दो साल पहले 31 अगस्त, 2015 को भी हामिद अंसारी ने उप राष्ट्रपति रहते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरत के एक कार्यक्रम में ऐसी बातें कही थीं। तब उन्होंने कहा था, “अभी हाल ही में सिंतबर, 2014 में सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू करने के आदेशों के मूल्यांकन के लिए कुंडु रिपोर्ट जारी कर दी गई है। इसमें कहा गया है कि शुरूआत हो गई है लेकिन महत्वपूर्ण काम बाकी हैं। ये रिपोर्ट इन कमियों को दूर करने के लिए विशेष सिफारिशें करती हैं।” इसके अलावा तत्कालीन उप राष्ट्रपति ने कहा था, “अल्पसंख्यक मुसलमानों का विकास सुरक्षा की भावना की बुनियाद पर किया जाना चाहिए।”
उन्होंने अपने भाषण में आगे कहा था, “मुसलमानों की स्थिति के बारे में अनेक राजनीतिक भ्रांतियां हैं। सामाजिक-आर्थिक रूप से उनकी स्थिति दर्शाती है कि वो राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक ताने बाने में हाशिए पर हैं और देश में उनकी स्थिति ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक पिछड़ी अनुसूचित जातियों और जनजातियों से भी खराब स्थिति में है।” उन्होंने कहा था, “मुस्लिम आबादी के बहुसंख्यक वर्ग को शिक्षा, आजीविका और लोक सेवाओं से जोड़कर राज्यों में रोजगार क्षेत्र में हुए घाटे का विस्तृत रूप से निरूपित किया जा सकता है। इसी क्रम में विभिन्नता सूचकांक और समान अवसर आयोग की स्थापना के लिए विशेषज्ञ दल ने 2008 में रिपोर्ट तैयार की है।”
मोहम्मद हामिद अंसारी ने तब ये भी कहा था कि भारत में मुस्लिमों की आबादी 18 करोड़ है, जो कुल आबादी का मात्र 14 प्रतिशत से थोड़ी ज्यादा है। विश्व में इंडोनेशिया के बाद भारत में मुसलमानों की सबसे ज्यादा आबादी है। इस्लामी संस्कृति और सभ्यता में उनके योगदान के बारे में सबको पता है। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरत के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा था कि मुसलमानों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष में बराबर का योगदान दिया है। वे भाषायी और सामाजिक आर्थिक पहलुओं में भिन्न प्रकार से सारे देश में बसे हुए हैं और भारत की विभिन्नता की प्रकृति में प्रतिबिंबित होता है।
अंसारी ने तब भी कहा था कि अगस्त 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई और उसके बाद हुई घटनाओं से ही मुसलमानों में बाह्य और मानसिक असुरक्षा की भावना विकसित हुई है। उन्होंने विचार व्यक्त करते हुए कहा था, “यदि राज्य या उसके किसी घटक द्वारा अल्पसंख्यकों को वंचित रखे जाने, बहिष्कार और भेदभाव (सुरक्षा मुहैया कराने में असफलता शामिल) के मामले में चूक हुई है तो उसे ठीक करना राज्य की जिम्मेदारी है।”
