विश्व भारती के शिक्षकों के एक समूह ने केंद्रीय विश्वविद्यालय के “माहौल और संस्कृति की बिगड़ती स्थिति” को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। मालूम हो कि पीएम मोदी विश्व भारती के चांसलर भी हैं। पत्र में लिखा गया है, ‘बीते कुछ वक्त में संस्थान में होने वाले विचार-विमर्श और बहस के स्तर में गिरावट देखी गई है। जिसे लेकर हम सभी असहाय महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा, यह हम सभी के गौरवशाली संस्थान की पवित्रता को खराब कर रहा है और हमारे संस्थान के माहौल और संस्कृति पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।’

इस पत्र को मीडिया के साथ भी साझा किया गया है। पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार, अपमान, यहां तक ​​कि हाथापाई आम बात बन गई है। शिक्षकों को बंधक बनाकर उनकी आवाजाही को भी रोका जाता है। पत्र में लिखा गया है कि कुछ शिक्षक संगठनों द्वारा ऐसा करने वाले छात्रों के एक विशेष समूह का समर्थन भी किया जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि कुछ शिक्षक प्रशासन के साथ भिड़ रहे हैं। विश्वविद्यालय का कथित रूप से राजनीतिकरण भी किया जा रहा है। राजनीति से जुड़े लोगों को परिसर में बोलने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

पत्र में कहा गया है, ‘हम विश्व भारती में उभरती हुई एक नई राजनीतिक संस्कृति का भी गवाह बन रहे हैं, जहां वरिष्ठ शिक्षक छात्रों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।’ पत्र में कहा गया है कि संस्था, पदाधिकारियों और अन्य वैचारिक समूहों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी भी की जाती है।

बता दें कि इससे पहले विश्व भारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती द्वारा कथित तौर पर एक ऑडियो क्लिप में विश्वविद्यालय को बंद करने की धमकी दी गई थी। छात्रों और शिक्षकों के एक वर्ग द्वारा चक्रवर्ती का विरोध भी किया जा रहा है।

हालांकि यूनिवर्सिटी के कुछ शिक्षकों की राय इससे अलग है। विश्व भारती यूनिवर्सिटी फैकल्टी एसोसिएशन से जुड़े एक प्रोफेसर ने कहा, “सबसे बड़ा सवाल ये है कि 179 लोगों में से अपनी मर्जी से कितने शिक्षकों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। 1,400 कर्मचारियों में से 179 कर्मचारी एक छोटा वर्ग है। हर कोई जानता है कि किसने विश्वविद्यालय को बंद करने की धमकी देकर विश्व भारती के माहौल को खराब किया है और शिक्षकों को गंदी गाली दी है। ”

बता दें कि पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्व भारती की स्थापना की थी।