पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक नए ऑफिशियल मेमोरेंडम (ओएम) में कहा गया है कि अब राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा आवश्यकताओं और रणनीतिक विचारों के ध्यान में रखते हुए परमाणु, महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के खनन प्रस्तावों को सार्वजनिक परामर्श के दायरे से छूट दी जाएगी। यह बताया गया है कि यह छूट रक्षा मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) द्वारा हाल ही में किए गए अनुरोध के प्रत्युत्तर में दी गई है।
हालांकि, आदेश में कहा गया है कि ऐसी परियोजनाओं का संबंधित क्षेत्रीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों द्वारा ‘व्यापक मूल्यांकन’ किया जाएगा और परियोजना के आकार पर ध्यान दिए बिना उनका मूल्यांकन केंद्रीय स्तर पर किया जाएगा।
मंत्रालय ने इस मामले में छूट प्रदान करने के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006 और संशोधनों के प्रावधानों का हवाला दिया। जो राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा से संबंधित परियोजनाओं के साथ-साथ अन्य रणनीतिक विचारों को सार्वजनिक परामर्श से छूट देते हैं।
2006 के नियम के आधार पर मामलों की जांच
ऑफिशियल मेमोरेंडम में कहा गया है, ‘इस मंत्रालय में ईआईए, 2006 के अंतर्गत मौजूद प्रावधानों के संदर्भ में उपरोक्त मामले की जांच की गई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा की आवश्यकता और रणनीतिक विचारों को ध्यान में रखते हुए, भाग बी में अधिसूचित परमाणु खनिजों और एमएमडीआर अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग डी में अधिसूचित महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की सभी खनन परियोजनाओं को सार्वजनिक परामर्श से छूट दी जाएगी और प्रस्ताव में शामिल पट्टा क्षेत्र की परवाह किए बिना केंद्रीय स्तर पर उनका मूल्यांकन किया जाएगा।’
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ईआईए अधिसूचना एक प्रमुख सरकारी अधिनियम है जो विकासात्मक और औद्योगिक परियोजनाओं के पर्यावरण, स्वास्थ्य और समुदायों पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच और मूल्यांकन के लिए है। ईआईए अधिसूचना के तहत सार्वजनिक परामर्श एक कानूनी प्रक्रिया है, और इसमें प्रभावित समुदायों की चिंताओं के समाधान के लिए एक जन सुनवाई शामिल है और परियोजना के प्रभावों में हिस्सेदारी रखने वालों से लिखित प्रतिक्रियाएं मांगी जाती हैं।
दुर्लभ मृदा तत्वों के लिए खनिज संसाधन दुर्लभ
4 अगस्त को पर्यावरण मंत्रालय को दिए गए अपने अनुरोध में रक्षा मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि दुर्लभ मृदा तत्वों का उपयोग रक्षा क्षेत्र में किया जाता है। मंत्रालय ने कहा कि इनका उपयोग निगरानी और नौवहन संबंधी उपकरणों (जैसे रडार और सोनार) संचार और प्रदर्शन उपकरणों, सशस्त्र वाहनों और टैंकों में माउंटिंग सिस्टम, और सटीक निर्देशित युद्ध सामग्री बनाने में किया जाता है।
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रक्षा मंत्रालय ने रेखांकित किया कि भारत में दुर्लभ मृदा तत्वों के लिए खनिज संसाधन दुर्लभ हैं, और विश्व के सीमित भागों में आपूर्ति संकेन्द्रण के कारण, ‘देश के लिए आपूर्ति का बड़ा जोखिम उत्पन्न होता है और घरेलू खदानों से दुर्लभ मृदा तत्वों की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती है।’