भारत में महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या के जन्मदिन को इंजीनियर्स डे के रूप में मनाते हैं। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या का जन्म 15 सितंबर 1961 में हुई थी। विश्वेश्वरय्या को उनकी एक इंजीनियर के तौर पर काबिलियत के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। विश्वेश्वरय्या के पिता का नाम मोक्षगुंडम श्रीनिवास शास्त्री था। 12 साल की उम्र में विश्वेश्वरय्या के पिता का देहांत हो गया जिसके बाद उन्होंने बैंगलोर से अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने पुणे में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
उनका भारत में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में योगदान अद्वितीय है। उन्होंने भारत के कई बांधों को खुद डिजाइन किया था। कई पुल के निर्माण में सहयोग किया। भारत में सिंचाई और पीने के पानी की कई योजनाओं में विश्वेश्वरय्या का योगदान अभूतपूर्व है। विश्वेश्वरय्या साल 1912 से 1918 तक मैसूर के दीवान रहे। माना जाता है कि कर्नाटक के चौतरफा विकास में इनकी बहुत बड़ी भूमिका थी। के. आर. डैम , बृंदावन गार्डन्स, भद्रवती एंड आयरन स्टील्स इनके सबसे सफल प्रोजेक्ट्स रहे।
इसके अलावा मैसूर सैंडलवुड ऑयल फैक्ट्री और बैंक ऑफ मैसूर इनकी सबसे बड़ी उपलब्धियां थीं। साल 1965 में विश्वेश्वरय्या को भारत के सर्वोच्य सम्मान भारत भारत रत्न से नवाजा गया था। उन्होंने ब्रिटिश इंडियन साम्राज्य के नाइट कमांडर के तौर भी काम किया। जनहित में उनके योगदान से प्रभावित होकर किंग जॉर्ज V ने उन्हें यह सम्मान दिया था। कृष्ण राजा सागर डैम के निर्माण में उन्होंने चीफ इंजीनियर के तौर पर काम किया। हैदराबाद में बाढ़ सुरक्षा तंत्र के चीफ डिजाइनर रहे। विश्वेश्वरय्या को लंदन इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग ने भी सम्मानित किया। सिर्फ भारत में ही उन्हें 8 विश्वविद्यालयों ने सम्मानित किया। वे साल 1923 में इंडियन साइंस कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। कर्नाटक के अखबार प्रजावनी के सर्वे में बताया गया कि वे कर्नाटक के सबसे लोकप्रिय व्यक्ति थे।

