भारत इन दिनों बिजली की जबरदस्त कमी से गुजर रहा है। छह साल में यह सबसे बुरा बिजली संकट है। इस हफ्ते तमाम दक्षिण एशिया में गर्मी अपने चरम पर रही। इससे पहले मार्च का महीना इतिहास का सबसे गर्म मार्च साबित हुआ था। जाहिर है, गर्मी का मौसम अभी शुरू ही हुआ है और लू झुलसाने लगी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई हिस्सों में पारा 46 डिग्री तापमान तक को पार कर चुका है।
इन हालात में बिजली की जरूरत बढ़ी है। बढ़ी जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है, क्योंकि ताप बिजलीघरों में जरूरत लायक कोयला नहीं है। सरकारी आंकड़े हैं कि उत्तर भारत में बिजली की जरूरत 16 से 75 फीसद के बीच बढ़ गई है। इसकी वजह से बिजली की मांग 13.2 फीसद बढ़ कर 135.4 अरब किलोवाट तक पहुंच गई है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक देश के लगभग हर हिस्से में दो से 10 घंटे तक की बिजली कटौती की नौबत आ गई है।
बिजली की मांग और आपूर्ति
बिजली की मांग के हिसाब से उसकी आपूर्ति में 2.41 अरब यूनिट की कमी पड़ गई, यानी 1.8 फीसद की कमी, जो अक्तूबर 2015 के बाद से सबसे ज्यादा है। अप्रैल में दिल्ली में बिजली की मांग 42 फीसद बढ़ी, पंजाब में 36 फीसद और राजस्थान में 28 फीसद। यहां तक कि पूर्वोत्तर के छोटे से राज्य सिक्किम में बढ़े हुए तापमान की वजह से बिजली के इस्तेमाल में 74.7 फीसद की बढ़ोतरी हो गई। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में बिजली की मांग 16 फीसद से भी ज्यादा बढ़ गई। हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे दूसरे उत्तरी राज्यों और पूर्व में झारखंड में बिजली की मांग 25 फीसद से भी ज्यादा बढ़ गई।
कोयले की जरूरत
भारत करीब 200 गीगावाट बिजली यानी 70 फीसद बिजली का उत्पादन ताप बिजलीघरों से करता है। इस समय ज्यादातर बिजलीघरों में उत्पादन कम हो गया है। अधिकांश बिजलीघरों के पास बीते नौ साल की तुलना में कोयले का सबसे कम भंडार बचा है। कोल इंडिया बिजलीघरों के लिए रोजाना 16.4 लाख टन कोयले की आपूर्ति कर रहा है, लेकिन कोयले की मांग प्रतिदिन 22 लाख टन तक पहुंच गई है।
कोल इंडिया ने कोयले का उत्पादन नहीं बढ़ाया है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथारिटी (सीईए) के मुताबिक, 150 बिजलीघरों में से 86 में कोयले का भंडार बेहद कम हो गया है। इस समय देश भर में स्थित थर्मल बिजलीघरों में 2.12 करोड़ टन कोयला उपलब्ध है, जोकि सामान्य स्तर 6.63 करोड़ टन से काफी कम है।
आयात बनाम घरेलू उत्पादन
कोयले का आयात घटा है। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला आयातक भारत ने कुछ साल से लगातार अपना आयात घटाने की कोशिश की है। इस दौरान घरेलू कोयला आपूर्तिकर्ताओं ने उतनी ही तेजी से अपना उत्पादन बढ़ाया नहीं है। इससे आपूर्ति एकबारगी कम हो गई है।
ऐसे में कोयले के और आयात की जरूरत है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत चार सौ डालर यानी 30 हजार रुपए प्रति टन के रेकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। देश में कोयले के उत्पादन के अतिरिक्त सालाना करीब 20 करोड़ टन कोयला इंडोनेशिया, चीन और आस्ट्रेलिया से आयात होता है। अक्तूबर 2021 के बाद इन देशों से आयात घटने लगा।
बढ़ता बकाया
विभिन्न राज्यों की उत्पादक कंपनियों (जेनको) पर कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) का बकाया काफी जमा हो गया है। महाराष्ट्र पर 2,608.07 करोड़ रुपए, पश्चिम बंगाल पर 1066.40 करोड़ रुपए, झारखंड पर 1018.22 करोड़ रुपए, तमिलनाडु पर 823.92 करोड़ रुपए, मध्य प्रदेश पर 531.42 करोड़ रुपए और राजस्थान पर 429.47 करोड़ रुपए बकाया हैं।
कोल इंडिया का कहना है कि महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य के जेनको से संबंधित बकाया बहुत अधिक है। एससीसीएल और राज्य और केंद्रीय जेनको के बीच समझौते के अनुसार, एससीसीएल विभिन्न ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति कर रहा है। उसका आंध्र प्रदेश पर 764.70 करोड़, कर्नाटक पर 514.14 करोड़, तमिलनाडु पर लगभग 90 करोड़ बकाया हैं। दूसरी ओर, बिजली उत्पादक कंपनियों पर बिजली वितरण कंपनियों यानी डिस्काम का 1.1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है।
क्या कहता है कोयला मंत्रालय
सीआइएल द्वारा कोयला उत्पादन अप्रैल 2022 में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 27.2 फीसद और कोयला आपूर्ति 5.8 फीसद बढ़ गया है। मंत्रालय के अनुसार, दैनिक आपूर्ति से इतर नौ दिन का अतिरिक्त कोयला उपलब्ध है।कोल इंडिया के पास अभी 56.7 मीट्रिक टन कोयले का भंडार है। सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) के पास 4.3 मीट्रिक टन का भंडार है।
वहीं, कैप्टिव कोयला ब्लाक में लगभग 2.3 मीट्रिक टन का भंडार है। गुड शेड साइडिंग, वाशरी साइडिंग और बंदरगाह पर 4.7 मीट्रिक टन कोयला पड़ा है और यह तुरंत बिजली संयंत्रों में भेजा जा सकता है। कोल इंडिया की साइडिंग पर लगभग दो मीट्रिक टन कोयला उपलब्ध है। कोल इंडिया ने बिजली निर्माता कंपनियों को 5.75 मीट्रिक टन कोयले की पेशकश की है और इसमें से 5.3 मीट्रिक टन को कंपनियों ने बुक करने पर सहमति व्यक्त की है।सभी जेनको को सम्मिश्रण के लिए 10 फीसद कोयला आयात करने की सलाह दी गई है।
- बिजली मंत्रालय के मुताबिक, भारत की बिजली की मांग एक दिन में सबसे अधिक शुक्रवार, 29 अप्रैल को 207.11 गीगावाट के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई।
क्या कहते हैं जानकार
केंद्र सरकार दिन-प्रतिदिन, घंटे के आधार पर स्थिति की निगरानी कर रही है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और हम देश को आवश्यक कोयले की आपूर्ति करेंगे। ताप बिजलीघरों के पास अब नौ-साढ़े नौ दिनों का भंडार है। इसके अलावा कोल इंडिया के साथ, हमारे पास लगभग 7.25 करोड़ टन भंडार मौजूद है।
- आरके सिंह, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री
बिजली संकट की प्रमुख वजह विभिन्न ईंधन स्रोतों से होने वाले बिजली उत्पादन में आई बड़ी गिरावट है। कोविड-19 के प्रकोप में कमी आने के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आई और बिजली की मांग बढ़ी, इसके अलावा इस साल जल्दी गर्मी शुरू हो गई, गैस और आयातित कोयले की कीमतों में वृद्धि हुई और बिजली का उत्पादन कम हो गया।
- एके जैन, केंद्रीय कोयला सचिव