चुनाव आयोग (ईसी) ने सोमवार को केरल कांग्रेस (एम) पार्टी के संस्थापक के आर मणि के बेटे जोस के मणि की अगुवाई वाले गुट को पार्टी के विवादित ‘दो पत्तों’ के चिह्न देने का फैसला बहुमत के साथ किया। हालांकि, निवर्तमान आयुक्त अशोक लवासा ने यह कहते हुए एक इस फैसले के खिलाफ लिखा कि दोनों गुटों में से किसी को भी केसी (एम) के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती है जब तक कि समर्थन के नए हलफनामे देने को नहीं कहा जाता है।

पिछले साल पार्टी संरक्षक केआर मणि की मौत के बाद केसी (एम) दो समूहों में बंट गया। एक गुट का नेतृत्व जोस के मणि कर रहे हैं, जो राज्यसभा सांसद भी हैं। वहीं, दूसरे गुट का नेतृत्व पीजे जोसेफ कर रहे हैं, जो केआर मणि के निधन के समय पार्टी के अध्यक्ष थे। सीईसी सुनील अरोड़ा और उनके सहयोगी सुशील चंद्र का मत था कि जोस के मणि को पार्टी के विधायी और संगठनात्मक समर्थन में बहुमत का समर्थन प्राप्त है।

यह निर्णय 305 राज्य समिति सदस्यों द्वारा दायर हलफनामों के सत्यापन पर आधारित था जो दोनों गुटों द्वारा प्रदान किए गए समर्थकों की सूची में कॉमन थे। इस महीने के शुरुआत इस्तीफा देने वाला लवासा का सोमवार को कार्यालय में आखिरी दिन था। उनकी असहमति के पीछे विचार था कि बहुमत का परीक्षण दोनों गुटों से समर्थन का फैसला नए हलफनामे मांगे जाने के बाद किया जाना चाहिए।

वहीं, सीईसी सुनील अरोड़ा और सुशील चंद्रा इस आधार पर नए हलफनामों मांगे जाने के पक्ष में नहीं थे क्योंकि अगले विधानसभा चुनाव एक साल से कम समय बचा है। ऐसे में समर्थन के नए हलफनामों मांगे जाने से चुनाव आयोग के फैसले में देरी हो सकती है। बहुमत से लिए गए फैसले में कहा गया कि नए हलफनामे मांगे जाने का एक और मौका देने से दोनों गुटों को खरीद फरोख्त की आशंका बढ़ सकती है।

इससे सही परिणाम नहीं आएग। जबकि लवासा का कहना था कि खरीद-फरोख्त का मुद्दा एक अनुमान भर है। मालूम हो कि लवासा ने मनीला में एशियाई विकास बैंक में उपाध्यक्ष के रूप में शामिल होने के लिए ईसी के रूप में इस्तीफा दे दिया है।