नोटबंदी के बाद अब सरकार नए नोटों को छापने की तैयारी में जोर-शोर से लगने वाली है। भारत के लिए नए नोट बनाने का टेंडर दुनिया की आठ बड़ी कंपनियों को मिला है। ये कंपनियां अप्रैल से दिसंबर 2017 तक के लिए भारत को पेपर सप्लाई करेंगी। जो कि कुल 27,500 मेट्रिक टन होगा। उस कागज से छोटे नोट छापे जाएंगे। जिसमें 10, 20, 50 और 100 रुपए के नोट शामिल हैं। बड़े नोट जिसमें 500 और 2000 का नोट शामिल है उनके लिए पेपर भारत में ही बनाया जाएगा। गुरुवार और शुक्रवार को बैंगलूरू में भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमटिड (BRBNMPL) के हेड ऑफिस में इस डील को फाइनल किया गया। इसके लिए स्विट्जरलैंड की Lanquart, साउथ कोरिया की Komsco, फ्रांस की Arjowiggins, स्वीडन की Crane, रूस की Goznak, इंडोनेशिया की PT Pura, इटली की Fabriano और जर्मनी की Louisenthal कंपनी के बड़े अधिकारी आए हुए थे।
डील के लिए ब्रिटेन की De La Rue कंपनी को नहीं बुलाया गया था। De La Rue दशकों से भारत के लिए नोट का कागज सप्लाई करती रही है। लेकिन 2010-11 में उसे कुछ सुरक्षा कारणों की वजह से उसे बाहर कर दिया गया था। माना जा रहा है कि इस बार भी उसे गृह मंत्रालय से सिक्योरिटी क्लीयरेंस नहीं मिला होगा। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा जारी पनामा पेपर के जरिए बताया गया था कि De La Rue ने कॉन्ट्रेक्ट पाने के लिए एक शख्स को रिश्वत दी थी।
अधिकारियों की तरफ से बताया गया कि यह बड़ा ऑर्डर क्रिसमस से पहले जल्दबाजी में नोटबंदी के फैसले की वजह से दिया गया। क्योंकि भारत में इस वक्त कैश की काफी कमी है। उन कंपनियों के कुछ अधिकारियों से बात करने पर पता लगा कि बैंगलूरू में कॉन्ट्रेक्ट के लिए लगी बोली आसान नहीं थी। वहां जितनी भी कंपनियां बुलाई गई थीं वे सभी कॉन्ट्रेक्ट को लेने की इच्छा जता चुकी थीं। इस वजह से करेंसी पेपर का रेट 2015-16 के मुकाबले 10 प्रतिशत कम रहा।