नेशनल सेंटर फॉर की रिपोर्ट के मुताबिक आज नेपाल में रिक्टर स्केल पर 6.1 तीव्रता का भूकंप आया है। झटके दिल्ली से बिहार तक महसूस किए गए हैं। भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप का केंद्र काठमांडू से लगभग 55 किमी पश्चिम में धाडिंग में था।
नेपाल में भूकंप आना आम बात है। नेपाल उस पर्वत पर है जहां है जहां तिब्बती और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं और हर शताब्दी में एक-दूसरे के करीब दो मीटर आगे बढ़ती हैं, जिसके रहते दबाव बनता है जो भूकंप के रूप में जारी होता है। 16 अक्टूबर को नेपाल के सुदुरपश्चिम प्रांत में 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था। 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए झटकों से लगभग 9,000 लोग मारे गए थे। जैसा कि सरकार की आपदा के बाद के आकलन (पीडीएनए) रिपोर्ट में कहा गया है नेपाल दुनिया का 11वां सबसे अधिक भूकंप-प्रवण देश है।
कब आता है भूकंप?
धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है। जब भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है। भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं और एक दूसरे से रगड़ खाती हैं। फ्रिक्शन के कारण धरती डोलने लगती है। कई बार धरती फट भी जाती है। वहीं कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं। इन्हें आफ्टरशॉक भी कहते हैं।
राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र के अनुसार, सुबह सात बजकर 39 मिनट पर आए भूकंप का केंद्र धाडिंग जिले में था। इस भूकंप में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है। भूकंप के झटके बागमती और गंडकी प्रांतों में भी महसूस किए गए। काठमांडू से 90 किलोमीटर पश्चिम में स्थित धाडिंग में सुबह सात बजकर 39 मिनट पर आए तेज झटके के बाद 29 मिनट के अंदर चार झटके महसूस किए गए। भूकंप और इसके बाद लगातार आए झटकों से लोगों में दहशत फैल गई। अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन मीडिया में प्रसारित खबरों के मुताबिक जिले के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन हुआ है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, धाडिंग में भूकंप के बाद कुछ मकानों में दरारें पड़ गईं और कुछ पेड़ भी गिर गए।