कोरोना महामारी में बीमार स्वास्थ्य सेवा जैसी विषम परिस्थितियों में काम कर रहे डॉक्टर तरत-तरह के तुगलकी आदेशों से हैरान हैं। देश की राजधानी में ही किए जा रहे दावों व जमीनी हकीकत में भारी अंतर है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रात की पाली में एक ही पीपीई किट लगातार 12 घंटे तक पहनने का आदेश है। आरडीए महासचिव डॉ श्रीनिवास राजकुमार ने बताया कि ऐसा आदेश जारी होने के बाद से लोग नाराज हैं और एक डॉक्टर के बेहोश होने से मामला गंभीर हो गया है। इमरजेंसी मेडिसिन में रात को ड्यूटी में तैनात डॉक्टर को बेहोश होने के बाद भर्ती करना पड़ा। डिहाइड्रेशन का इलाज चल रहा डॉक्टरों ने कहा कि दिन में और बुरा हाल होगा। हालांकि दिन में पाली बदलती रहती है फिर भी छह घंटे लगातार किट पहनना भी गर्मी में बीमार कर सकता है।
वहीं एम्स के ही छात्रावास में एक महीने पहले मांगे गए सेनेटाइजर व दूसरे सामान अभी तक नहीं मिले हैं। देश के सबसे नामी अस्पताल एम्स में भी पीपीई किट की कमी व संक्रमण की अधिकता को देखते हुए इमरजेंसी मेडिसिन में विभाग मे तैनात कर्मियों को रात की पाली में एक ही किट 12 घंटे पहनने का आदेश दिया गया है। इस किट में सांस लेना तक भारी लगता है। ऐसे में एक डॉक्टर जो बीती रात 12 घंटे की ड्यूटी पर थी बेहोश हो गई। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल के ही दूसरे बार्ड में भर्ती कराना पड़ा। कोरोना स्क्रीनिंग (लाल क्षेत्र 1 और 2) के जूनियर रेजीडेंट को 11 घंटे की शिफ्ट पूरा करने तक पीपीई किट पहनना आवश्यक है।
वहीं हकीकत यह है कि छह घंटे के लिए इन पीपीई स्तर तीन (जंप सूट) को पहनना एक समस्या हो सकती है। फिर भी यहां तक कि जेआर और एससीएमओ को रात की ड्यूटी में 11 घंटे के लिए पीपीई किट पहनना पड़ता है। एम्स आरडीए अध्यक्ष डॉ आदर्श प्रताप सिंह ने कहा है कि पीपीई की अपर्याप्त और घटिया आपूर्ति हो रही है। गैर-कोरोना क्षेत्र में तैनात स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को पीपीई उपलब्ध नहीं है।
डॉक्टरों के लिए बदतर कमरों में ठहरने का इंतजाम : हेडगेवार अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों को सीमा पर रोके जाने के बाद अस्पताल प्रशासन ने उनके अस्पताल में ही रुकने के लिए व्यवस्था की है। अस्पताल के आदेश में कहा गया है कि पांचवी मंजिल पर दो कमरे में डॉक्टरों के रुकने का इंतजाम कर दिया गया है जिसे आने जाने में परेशानी हो रही है वे यहां रुक सकते हैं। लेकिन इस अस्पताल की दशा देखकर इसमें स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार हो सकता है। ऐसे में यहां 12 से 36 घंटे ड्यूटी करने वालों को रोका जा रहा है।

