क्या आपके ज़हन में कभी ये ख्याल आया है कि आयकर विभाग करोड़ों लोगों की आय पर किस तरह नजर रखता है? आइए आज हम आपको बताते हैं कि ये कैसे मुमकिन होता है। नागरिकों के आय-व्यय पर नजर रखने के लिए आयकर विभाग ने एक सीमा से अधिक के लेन-देन के दौरान PAN (पर्मानेंट अकाउंट नंबर) देना अनिवार्य कर दिया है। आप चाहे निजी लेने-देन करें या किसी संस्था या कंपनी या अन्य एजेंसी को अगर आपने निश्चित सीमा से ज्यादा के लेन-देन के दौरान PAN नहीं दिया तो ये कानूनन अपराध होगा। इसके अलावा बड़ी रकम के लेन-देन पर कुछ टैक्स भी लिए जाते हैं जिससे विभाग को अतिरिक्त सूचना मिलती है। आयकर विभाग विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी का मिलान व्यक्ति द्वारा भरे गए ITR (इनकम टैक्स रिटर्न) से करता है। ITR में आपको कुल वार्षिक आय का विस्तृत ब्योरा देना होता है। अगर आप अपने ITR में गलत जानकारी देते हैं या ITR नहीं भरते हैं तो आयकर विभाग अपनी अंदरूनी जांच के बाद आपको नोटिस भेज सकता है।
आइए हम आपको बताते हैं कि आप द्वारा बड़ी रकम के लेन-देन पर आयकर विभाग कैसे नजर रखता है-
1- अगर आप एक वित्त वर्ष में नकद, डिमांड ड्राफ्ट या फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर 10 लाख रुपये उससे ज्यादा की राशि बैंक में जमा करते हैं बैंक इसकी सूचना आयकर विभाग को भेज देता है। अगर आप अलग-अलग बैंक खातों का प्रयोग करके इससे बचना चाहेंगे तो भी ये संभव नहीं है। बैंक आपके द्वारा सभी खातों में किए गए कुल लेन-देन के आधार पर ही ये सूचना भेजता है।
2- प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार 30 लाख रुपये से ऊपर मूल्य की अचल संपत्ति की खरीद या बिक्री की सूचना आयकर विभाग को भेजता है।
3- 50 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली संपत्ति खरीदने पर आपको 1 प्रतिशत की दर से TCS (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) देना होता है। ये टैक्स भी आयकर विभाग द्वारा सूचना जुटाने का एक तरीका है।
4- अगर आपने एक वित्त वर्ष में अपने क्रेडिट कार्ड कंपनी को एक लाख रुपये से अधिक का भुगतान या अन्य माध्यमों से 10 लाख रुपये या उससे अधिक का भुगतान करते हैं तो क्रेडिट कार्ड कंपनी इसकी सूचना आयकर विभाग को देती है।
5- 10 लाख रुपये या उससे अधिक के शेयर, डिबेंचर और म्यूचुअल फंड की खरीद की सूचना भी संबंधित कंपनी आयकर विभाग को देती है।
6- अगर आपकी सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक है तो इस वित्त वर्ष से आपको एक नया ITR (इन्कम टैक्स रिटर्न) फॉर्म भरना होगा जिसमें आप विभाग को अपनी सभी संपत्तियों और देनदारियों का पूरा ब्योरा देंगे।
7- दो लाख रुपये से अधिक कीमत के किसी भी वस्तु या सेवी की खरीद पर आपको अपना PAN देना होगा। इस साल एक जून से सरकार ने दो लाख रुपये से अधिक के वस्तु या सेवा की नकद खरीद-बिक्री पर TCS लागू कर दिया है।
8- TDS (टैक्स डिडेक्टेड एट सोर्स) भी किसी की आय पर नजर रखने का एक तरीका है। अगर आपकी बैंक में जमा राशि पर एक वर्ष में 10 हजार रुपये से अधिक का ब्याज मिला है तो बैंक इस ब्याज पर TDS काट लेगा।
9- 10 लाख रुपये की अधिक कीमत की कारों पर एक प्रतिशत लग्जरी टैक्स देना होता है। ये शुल्क कार के एक्सशोरूम कीमत पर देना होता है। हालांकि ये अतिरिक्त भुगतान खरीदार द्वारा चुकाए जाने वाले कुल आयकर के अनुसार माफ भी किया जा सकता है।
10- इनके अलावा आयकर विभाग ने विभिन्न लेन-देन में PAN देना अनिवार्य कर दिया है-
दो पहिया वाहनों के अलावा सभी तरह के वाहनों की खरीद-बिक्री पर।
बैंक अकाउंट या डीमैट अकाउंट या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने पर
50 रुपये से अधिक का फिक्स्ड डिपॉजिट करने पर।
50 हजार रुपये से अधिक इंश्योरेंस प्रीमियम देने पर।
किसी रेस्तरां या होटल या विदेश यात्रा के दौरान 50 हजार रुपये से अधिक के नकद भुगतान पर।
50 हजार रुपये से अधिक म्यूचुअल फंड, डिबेंचर या बॉन्ड्स खरीदने पर।
बैंक में 50 हजार रुपये अधिक नकद जमा करने पर।