दिवाली पर प्रदूषण कम करने के केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आह्वान पर हरित पटाखे इजाद कर लिए गए हैं। इनको बनाने के लिए लाइसेंस की जरूरत होगी। इसके आवेदन को लाइसेंस की प्रक्रिया के लिए भेज दिया गया है। केंद्रीय विज्ञान व पर्यावरण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने एक बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जल्दी से यह पटाखे बाजार में उपलब्ध हो सकें इसके लिए लाइसेंस प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश की जा रही है।
पिछले साल दीपावली के समय प्रदूषण के भारी प्रकोप को देखते हुए केंद्रीय विज्ञान व पर्यावरण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने वैज्ञानिकों से अपील की थी कि वे प्रदूषण रहित या कम प्रदूषण वाले पटाखे इजाद करें ताकि त्योहार को लेकर आनंद भी कम न हो और प्रदूषण की मार भी न झेलनी पड़े। मंत्री की अपील पर वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआइआर) के तहत आने वाले राष्टÑीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने काम शुरू किया और पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत अनुकूल पटाखे बनाने में सफलता हासिल कर ली है।

क्या हैं हरित पटाखे?
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि हरित पटाखे सामान्य पटाखों की तरह ही दिखाई देते हैं लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। अब तक बने पारंपरिक पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर करीब 40 से 50 फीसद प्रदूषण कम होता है। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि सामान्य पटाखों के जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फर गैस निकलती है, लेकिन हमने इस तरह से शोध को आगे बढ़ाया कि इन प्रदूषकों की मात्रा को कम किया जाए। इन पटाखों में कम एलूमीनियम का इस्तेमाल कर ऐसे पटाखे बनाए हैं जिनको जलाने में कम हानिकारक गैस निकलेगी।

कम एलूमीनियम का इस्तेमाल करके बनाए गए पटाखे में सामान्य पटाखों की तुलना में 50 से 60 फीसद कम एलूमीनियम का इस्तेमाल होता है। ‘सफल’ नाम से बने इस पटाखे को जलाने में कम प्रदूषण होता है। एक पटाखा ऐसा भी इजाद किया गया है जिसको जलाने के बाद पानी बनेगा और पटाखे से निकलने वाली जहरीली हानिकारक गैस उसी समय इस पानी में घुल जाएगी व उनका हवा में प्रभाव न के बराबर होगा।

यह पटाखे जलने के बाद इसमें से पानी निकलेगा जो इस पटाखे के प््रादूषण के कण सल्फर और नाइट्रोजन पानी में घुल जाएंगे। इनका नाम सेफ वाटर रिलीजर है। एक पटाखा ऐसा भी है जो जलाने पर आसपास में खुशबू बिखेर देगा। इसे एरोमा पटाखा कहते हैं। नीरी ने सेफ थर्माइट क्रैकर नामक ऐसे पटाखे भी बनाए हैं जो जलने पर अपेक्षाकृत कम प्रदूषण व धुआं छोड़ते हैं।