भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार दिलीप कुमार की बतौर प्रोड्यूसर “गंगा जमुना” पहली फिल्म थी। इस फिल्म की रिलीज में उन्हें इतने पापड़ बेलने पड़े कि उन्होंने दोबारा फिल्म बनाने से तौबा कर ली। फिल्म में अश्लीलता और हिंसा का हवाला देते हुए सेंसर बोर्ड ने 250 कट लगाने की सिफारिश की, जिसके बाद दिलीप कुमार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात कर मदद मांगी। तब जाकर दिलीप कुमार की यह फिल्म रिलीज हो पाई थी।
बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री के मुताबिक, उस वक्त सूचना और प्रसारण मंत्री बीवी केसकर थे। उनके अंतर्गत काम करने वाले सेंसर बोर्ड को जब गंगा जमुना फिल्म दिखाई गई तो, 250 कट करने की सिफारिश की गई। सेंसर बोर्ड का कहना था कि फिल्म में जरूरत से ज्यादा अश्लीलता और हिंसा दिखाई गई है। दिलीप कुमार की लाख कोशिशों के बाद भी सेंसर बोर्ड ने अपना फैसला नहीं बदला।
इसके बाद इंदिरा गांधी ने दिलीप कुमार की नेहरू के साथ 15 मिनट की मीटिंग तय कराई। इस दौरान दिलीप कुमार ने प्रधानमंत्री को अपनी परेशानी बताई और सेंसर बोर्ड के कामकाज को लेकर भी सवाल उठाए थे। दिलीप कुमार ने यह भी कहा कि सेंसर बोर्ड ने तानाशाहों की तरह व्यवहार किया है और उनकी तरफ से दिए गए किसी भी तर्क पर गौर नहीं किया।
प्रधानमंत्री ने दिलीप कुमार की तरफ से उठाए गए इन सवालों को ध्यान से सुना और जो मीटिंग 15 मिनट चलने वाली थी वो 1 घंटे तक चली। इसके बाद नेहरू ने तुरंत गंगा जमुना फिल्म की रिलीज की अनुमति दे दी। वहीं, एक्टर की तरफ से उठाए गए सवालों पर भी उन्हें गौर किया। इसके बाद बीवी केसकर को मंत्रालय से हटा दिया गया था।
अपने इस अनुभव को लेकर दिलीप कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सेंसर बोर्ड के सदस्यों को इस बात का एहसास नहीं है कि एक अर्ध-न्यायिक निकाय के रूप में उनका बेहतर फिल्म निर्माता के प्रति दायित्व है… मेरी फिल्म 6 महीने से ज्यादा समय तक लटकी रही थी।
“गंगा जमुना” फिल्म साल 1961 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार, वैज्यंतीमाला और नसीर खान मुख्य भूमिका में थे।