ढाका में आतंकी हमले के दौरान मारी गई तारिषी जैन ने अपने परिवार को फोन किया था। उसने कैफे के बाथरूम में खुद को छुपाया और वहां से अपने पापा को फोन किया था। उसने कहा, ”आतंकी रेस्टोरेंट में घुस गए हैं। मुझे डर लगा रहा है पता नहीं कि मैं जिंदा बाहर आ पाऊंगी या नहीं। वे सब लोगों को मार रहे हैं।” इसके बाद फोन कट गया। उसके पापा संजीव जैन ने बताया कि तारिषी गर्मियों की छुट्टी में घर आई हुई थी। संजीव जैन 20 साल पहले कारोबार के लिए बांग्लादेश चले गए थे, वहां उनका गारमेंट का बिजनेस है। उन्होंने बताया कि परिवार के साथ यूपी के फिरोजाबाद स्थित घर पर परिवार के साथ आने का प्लान बनाया था। तारिषी भी उनके साथ भारत आने वाली थी। क्योंकि कुछ दिन बाद वह वापस अमेरिका लौटने वाली थी। 19 साल की तारिषी कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में इकॉनॉमिक्स में ग्रेजुएशन कर रही थी।
संजीव हमले वाली रात कैफे के बाहर बेटी का इंतजार करते रहे। शनिवार सुबह जब तक आतंकी मारे गए तब तक तारिषी भी जिंदा नहीं रही। तारिषी का अंतिम संस्कार फिरोजाबाद में किया जाएगा। उसका भार्इ संचित कनाडा में पढ़ाई करता है। वह भी दिल्ली लौट आया है। फिरोजाबाद में संजीव के तीन भाई राकेश, राजीव और अजीत रहते हैं। राकेश ने बताया, ”जिस धरती पर उसकी(तारिषी) निर्दयता से हत्या हुई उस पर अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। आतंकियों ने हिंदू होने के कारण उसकी हत्या कर दी।” बांग्लादेश के एक बैंक में इंटर्नशिप के जरिए तारिषी को अमेरिका में पढ़ने का मौका मिला था।
Dhaka Attack में भारतीय की भी मौत, 19 साल की तारिषी अमेरिकी यूनिवर्सिटी में कर रही थीं पढ़ाई
तारिषी के साथ उसके दो दोस्त अबिंता कबीर और फराज हुसैन की भी हत्या कर दी गई। हमलावरों ने होले आर्टिसन बेकरी कैफे में 20 लोगों की हत्या कर दी थी। इनमें तारिषी एकमात्र भारतीय थी। जिस कैफे में लोगों को बंधक बनाया गया वह ढाका के पॉश इलाके गुलशन में स्थित है। यह जगह खाने-पीने के मशहूर है। इसके आसपास ही अधिकतर दूतावास और विदेशी संस्थान मौजूद है। विदेश से आने वाली अधिकतक हस्तियां भी यहीं पर ठहरती हैं।
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