मनमोहन सिंह सरकार में आधार प्रोजेक्ट का जिम्मा संभालने वाले मशहूर टेक्नोक्रेट नंदन नीलेकणि ने विमुद्रीकरण के फैसले का समर्थन किया है। नीलेकणि का मानना है कि सिस्टम को इस तरह के झटके की जरूरत थी और इससे डिजिटलाइजेशन को बूस्ट मिलेगा। एनडीटीवी से बातचीत में नीलेकणि ने कहा, ”वक्त की जरूरत को देखते हुए जो डिजिटलाइजेशन 6-7 वर्षों में होना था, वह 6-7 महीनों में हो जाएगा।” विमुद्रीकरण के प्रभाव पर बोलते हुए नीलेकणि ने कहा कि अगले कुछ सप्ताह तक लोगों को दिक्कत होगी, लेकिन बाद में सब ठीक हो जाएगा। उन्होंने कहा, ”भारत में करीब 15 लाख पीओएस (प्वॉइंट ऑफ सेल) मशीनें हैं, जो कि पिछले 30-40 सालों में इंस्टॉल की गई हैं। मेरा मानना है कि अगले कुछ महीनों में यह आंकड़ा दो-तीन गुना हो जाएगा। इसी तरह हमारे पास 1,30,000 माइक्रो एटीएम हैं, जिनकी संख्या दस लाख के आसपास हो जाएगी। जैसे-जैसे इसकी संख्या बढ़ेगी, वित्तीय समावेश बढ़ेगा।”
नीलेकणि ने ई-बैंकिंग की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि जब लोगों तक इसकी पहुंच बढ़ेगी तो उपयोग भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में 108 करोड़ लोगों के पास आधार है, इससे बैंक खाते खोलने में बेहद आसानी हो गई है। ”ग्रामीण इलाकों में लोग यूएसएसडी, एप का प्रयोग कर सकते हैं। भारत में डिजिटल सेवाओं के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर है। इस झटके ने उन तकनीकों को अपनाने की दिशा में लोगों को मोड़ा है।”
नीलेकणि ने लोगों को हो रही दिक्कत से सहानुभूति जताई, मगर यह भी कहा कि कैश की जरूरत रहेगी, मगर कैशलेस ट्रांजेक्शंस की संख्या तेजी से बढ़ेगी। नीलेकणि ने कहा कि ‘भारत का भविष्य एक्सपोर्ट पर नहीं, घरेलू सेवाओं पर निर्भर है।’ जब हर ट्रांजेक्शन डिजिटल होगा, हर बिल पेमेंट सिस्टम से होगा तो भारत ‘डाटा गरीब’ से ‘डाटा अमीरी’ की तरफ बढ़ेगा जिससे ब्लैक मनी कम होगी।
नंदन ने कहा कि इस फैसले से होने वाली दिक्कतें कुछ समय तक जारी रहेंगी। उनके मुताबिक, इस फैसले से राजनैतिक पार्टियां भी कैशलेस होने की दिशा में बढ़ेंगी जिससे राजनैतिक भ्रष्टाचार रुक सकता है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शंस की सुरक्षा पर बात करते हुए नंदन ने कहा कि यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, ”आधार सिस्टम और यूपीआई बनाने में पूरा ध्यान सुरक्षा और एनक्रिप्शन पर रखा गया है और हमें इस पर गर्व है।”