दिल्ली उच्च न्यायालय ने ग्रीनपीस इंडिया के खातों पर रोक और एफसीआर पंजीयन को चुनौती देने वाली याचिका पर आज केन्द्र से जवाब तलब किया।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने सरकारी वकील को यह निर्देश प्राप्त करने के लिये कहा कि क्या ग्रीनपीस के घरेलू खातों के कोषों को इसके स्वयंसेवियों के वेतन सहित रोजमर्रा के लिए जारी किया जा सकता है।

अदालत ने गृह मंत्रालय की ओर से पेश वकील से कहा कि जहां तक वेतन और अन्य खर्चों का सवाल है, कुछ न कुछ तो करना होगा। इस संबंध में निर्देश लीजिए।

अदालत ने केंद्र के अलावा उन तीन बैंकों आईडीबीआई, आईसीआईसीआई और यस बैंक को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा जिन्होंने गैर सरकारी संगठन के खातों पर रोक लगाने के गृह मंत्रालय के निर्देश का पालन किया था।

इसके साथ ही अदालत ने ग्रीनपीस को हलफनामा दाखिल कर उससे वेतन में दिए जाने वाली राशि सहित रोजमर्रा के कामकाज के खर्च का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 26 मई तय की है।

सुनवाई के दौरान गैर सरकारी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम पेश हुए और उन्होंने दलील दी कि उसके घरेलू खातों पर रोक लगाने का मकसद उसे अपने कर्मचारियों और स्वयंसेवियों को वेतन देने से रोकना है।

उन्होंने कहा कि नौ अप्रैल से कोई वेतन नहीं दिया गया है क्योंकि संगठन के पास रोजाना की गतिविधियों के लिए कोई कोष नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि खातों पर रोक लगाने का अधिकार सरकार को कहां से मिला।