दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक अंतरिम आदेश में कहा है कि वीडी सावरकर की जीवनी के लेखक डॉ विक्रम संपत के खिलाफ कोई भी अपमानजनक सामग्री इतिहासकार ना छापें। दिल्ली उच्चन्यायलय ने शुक्रवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान ये आदेश दिए।
कोर्ट ने अपने आदेश में कई इतिहासकारों को संबोधित करते कहा है कि वो वीडी सावरकर की जीवनी के लेखक डॉ विक्रम संपत के खिलाफ ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों में मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित नहीं कर सकते हैं। न्यायमूर्ति अमित बंसल, संपत द्वारा ट्रुश्के और अन्य के खिलाफ रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी को भेजे गए एक पत्र पर दायर एक मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें एक पत्रिका प्रकाशन और सावरकर की उनकी दो-खंड की जीवनी और कुछ कथित मानहानिकारक ट्वीट्स के संबंध में संपत के खिलाफ साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया गया था।
न्यायाधीश ने आदेश में कहा- “मेरे विचार में, एक प्रथम दृष्टया मामला बनता है। पत्र के निरंतर प्रकाशन से वादी की प्रतिष्ठा और करियर को काफी नुकसान हो रहा है। सुविधा का संतुलन भी उसके पक्ष में है और निषेधाज्ञा नहीं देने पर अपूरणीय क्षति होगी। नतीजतन, सुनवाई की अगली तारीख तक, प्रतिवादियों को पत्र या किसी भी अन्य अपमानजनक सामग्री को ट्विटर के साथ-साथ किसी भी अन्य ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित करने से रोक दिया जाता है”।
अदालत ने ट्विटर के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है और मामले में आगे की सुनवाई 1 अप्रैल को होगी। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार विनायक दामोदर सावरकर की जीवनी के लेखक डॉ विक्रम संपत ने उनके खिलाफ साहित्यिक चोरी के आरोपों पर कई इतिहासकारों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
मिली जानकारी के अनुसार 11 फरवरी को लंदन के रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी को संबोधित करते हुए प्रतिवादियों ने संपत के खिलाफ साहित्यिक चोरी के गंभीर आरोप लगाए थे। इसी को लेकर संपत ने ऑड्रे ट्रुश्के और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। जिस पर कोर्ट ने ये आदेश दिया है।