दिल्ली की एक अदालत ने दलित गेस्ट टीचर की शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जामिया मिडिल स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर ने स्कूल के हेडमास्टर की तरफ से ‘अपमानित और उत्पीड़न’ करने का दावा करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

दलित टीचर का कहना है कि हेडमास्टर कई टीचर्स के सामने उन्हें उनकी जाति के नाम से संबोधित करते हैं। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रजत गोयल ने 30 जुलाई को अपने एक आदेश में कहा, ‘लगाए गए आरोपों के आधार पर एससी/एसटी (उत्पीड़न निरोधक) एक्ट 1989 की धारा 3 और 4 के तहत संज्ञेय अपराध है।’

अदालत का कहना है कि आरोपों के आधार पर ऐसा लगता है कि यह अपराध हुआ है। ऐसे में इस मामले में पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। इस संबंध में एडिशनल डीसीपी (साउथ-ईस्ट) कुमार ज्ञानेश ने कहा, ‘हम निर्देशों के तहत एफआईआर दर्ज कर रहे हैं।

यह एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत दर्ज की जाएगी।’ इस मामले में शिकायतकर्ता हरेंद्र कुमार ने कहा कि हेडमास्टर कई बार जातिसूचक टिप्पणियों का प्रयोग करते रहे हैं। उससे स्कूल में बर्तन धुलवाने, लैब में लगे पर्दे साफ कराने का काम भी कराया जाता था। इसके बाद उसे नौकरी से हटा दिया गया। शिकायतकर्ता ने इस संबंध में एक साल पहले शिकायत की थी।

पीड़ित के वकील ने संजय कुमार सिंह ने अदालत के सामने सीआरपीसी की धारा 156 के तहत आवेदन किया। इसमें कहा गया कि शिकायतकर्ता ने 8 मई 2018 को जामिया नगर, एसएचओ को शिकायत दी थी। इसके एक महीने बाद डीसीपी (साउथ-ईस्ट) को भी शिकायत दी थी। इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने पुलिस को इस मामले में एटीआर (एक्शन टेकन रिपोर्ट) पेश करने को कहा था। शिकायतकर्ता हरेंद्र कुमार इस मामले में अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वाइस चांसलर के पास भी जा चुका है। हरेंद्र का कहना है कि वह 2017 में गेस्ट टीचर नियुक्त हुआ था। मार्च 2018 में उसे बिना किसी कारण के नौकरी से हटा दिया गया। इस मामले में हेडमास्टर (कार्यकारी) मोहम्मद मुरसलीन ने इन आरोपों को ‘झूठा और निराधार’ बताया है।