Delhi Assembly Polls 2020: राजधानी में दिल्ली सरकार की ओर से चलाए जा रहे आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक मरीजों खास कर महिलाओं के लिए राहत भरा कदम साबित हो रहे हैं। लेकिन टिकाऊ इंतजाम न होने से कुछ मुश्किलें भी हो रही हैं। कर्मचारियों की स्थाई भर्ती व कुछ अन्य उपायों से इसे और कामयाब बनाया जा सकता है साथ ही बड़े अस्पतालों में मरीजों के बोझ को भी कम किया जा सकता है। आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनाव में एक हजार मोहल्ला क्लीनिक शुरू करने का वादा किया था। लेकिन अभी तक इससे आधे से भी कम क्लीनिक शुरू हो पाए हैं। यहां साफ-सफाई के लिए अलग से कर्मचारी नहीं हैं। पर्ची बनाने व खून जांच के नमूने लेने वाले कर्मचारी ही साफ-सफाई का काम भी देख रहे हैं। संकरी जगहों पर होने से मरीजों को मुश्किलें हो रही हैं। वहीं मरीजों की संख्या के हिसाब से कर्मचारियों को मेहनताना मिलने से कर्मचारियों में असंतोष भी है।

त्रिलोकपुरी ब्लॉक 35 में पोर्टा केबिन में बना मोहल्ला क्लीनिक सुबह आठ बजे खुलता है। यहां सात बजे से ही लोग लाइन में लग जाते हैं। गेट खुलने पर उन्हें लाइन के हिसाब से टोकन दिए जाते हैं। यहां 120 मरीज की सीमा तय है। लेकिन दोपहर एक बजे तक 141 मरीज देखे जा चुके थे। यहां अपने बच्चे शिवम (ढाई साल) को दिखाने आई महिला ने बताया कि उन्हें घर के पास इस क्लीनिक के खुलने से काफी राहत है। अब वे अपने बच्चे को या खुद को दिखाने अकेले आ सकती हैं। जबकि पहले अस्पताल जाने के लिए पति को भी काम से छुट्टी लेनी पड़ती थी जिससे दिहाड़ी मारी जाती थी।

त्रिलोकपुरी 25 ब्लॉक में दो पालियों में चलने वाले क्लीनिक में दो डॉक्टर सहित सात अन्य कर्मचारी हैं जिनमें लैब टेक्नीशियन व फार्मासिस्ट शामिल हैं। लेकिन सफाई कर्मचारी न होने से उन्हें ही साफ-सफाई भी करनी पड़ती है। जूते-चप्पल बाहर निकाल कर आने को कहा जाता है क्योंकि यहां एक ही कर्मी सफाई भी करता है पट्टी भी। इन क्लीनिकों में डिस्पेंसरी से दवाएं जाती हैं। रोजाना यहां 300 से 400 मरीज आते हैं। कर्मचारियों ने बताया कि इनमें से 70 फीसद महिलाएं होती हैं। यहां इलाज करा रहीं महिला शबनम ने कहा कि पहले एक कमरे के दड़बेनुमा जगह में शुरू किया गया था, खड़े भी नहीं रह पाते थे। रोज मारपीट की नौबत आ जाती थी। लेकिन अब इसे खुली जगह में बनाए जाने से राहत है।

30 ब्लॉक, त्रिलोकपुरी में जांच का इंतजाम नहीं है। मधुमेह रोगी जमरूद्दीन ने कहा कि वे निजी डॉक्टर को दिखाते थे तो जांच व डॉक्टर की फीस व दवा मिलाकर एक बार में तीन से आठ सौ रुपए तक खर्च हो जाते थे। अगर मयूर विहार के किसी डॉक्टर को दिखाते थे तो उनकी तो 800 से एक हजार रुपए तक फीस ही हो जाती थी। उन्होंने कहा कि 30 ब्लॉक में जांच नहीं होती इसलिए वे 35 ब्लॉक में दिखाने आते हैं।