रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (5 जनवरी) को सशस्त्र बलों से जुड़ा सरकार का एक विवादित आदेश वापस ले लिया। एनडीटीवी की खबर के मुताबिक आदेश सशस्त्र बलों की रैंक और स्टेटस में कमी करने को लेकर था। 2016 के सरकारी आदेश के मुताबिक सशस्त्र बलों में रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले उनके सिविल समकक्षों के मुकाबले रैंक और स्टेटस को कम करना था। 2016 के आदेश के मुताबिक सशस्त्र बल सिविल सेवा के एक प्रधान निदेशक को ब्रिगेडियर बनाए जाने के बजाय एक मेजर जनरल के बराबर की रैंक पर लाया गया था। पहले कर्नल की रैंक के बराबर किए जाने वाले अधिकारियों को अब ब्रिगेडियर बनाया जाएगा और संयुक्त निदेशक को कर्नल बनाए जाने के बजाय लेफ्टिनेट कर्नल बनाया जाएगा।
अब रक्षा मंत्रालय ने रैंकों के पुनर्गठन का आदेश वापस ले लिया है और सशस्त्र बलों से परामर्थ के बाद ही इस पर काम होगा। इससे पहले एक पत्र के जरिये सेना ने इस आदेश के खिलाफ आपत्ति जताई थी। लेकिन इस बारे में मंत्रालय ने अक्टूबर में विचार करने से मना कर दिया था। मंत्रालय ने प्रत्येक पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि परिवर्तन केवल कार्यात्मक थे और रैंक में कोई बदलाव नहीं किया गया था, सशस्त्र बलों का पूरा सम्मान रखा गया है।
सशस्त्र बलों की मांगों पर आदेश वापस होने से उनके मनोबल में और बृद्धि होगी। इससे पहले कई मौकों पर सरकार सेना के साथ आत्मीयता से जुड़े होने और उनकी भलाई के फैसले लेने के संकेत देती रही है। सरकार के मंत्री अक्सर सेना के बीच महत्वपूर्ण त्योहारों और अवसरों पर नजर आते हैं। हाल ही में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों के साथ नया साल मनाया था। राजनाथ भारत-चीन सीमा के पास मातली स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के कैंप में जवानों के पास पहुंचे थे। नई दिल्ली लौटने से पहले वह नागा और पीडीए पोस्ट समेत नेलाग घाटी में भी जवानों से मिले थे और सीमा के हालातों के बारे में जानकारियां ली थीं। उनकी इस यात्रा को लेकर पड़ोसी मुल्क चीन ने आपत्ति जताई थी और दोनों देशों के बीच सीमा विवादों के लिए उकसाने वाला कदम बताया था।