राजपथ पर शनिवार (26 जनवरी) को 70वें गणतंत्र दिवस परेड में महिलाओं के शौर्य का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला जहां नौसेना एवं सेना के कई दस्तों की अगुवाई उन्होंने की और एक महिला अधिकारी ने बाइक पर हैरतअंगेज करतब दिखाए। पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होकर असम राइफल्स के महिला दस्ते ने इस साल इतिहास रचा। इस परेड में मेजर खुशबू कंवर असम राइफल्स की सभी महिला टुकड़ी की कमांडर थीं। 30 वर्षीय मेजर खुशबू ने उस असम राइफल्स के दल का नेतृत्व किया, जो देश का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है। राजस्थान के जयपुर की रहने वाली एक बस कंडक्टर की बेटी ने राजपथ पर इतिहास रचा।

खुशबू वर्ष 2012 में इंडियन आर्मी में शामिल हुई थीं और अभी उनकी नियुक्ति असम राइफल्स में है। असम राइफल्स में आतंकवाद रोधी अभियानों को अंजाम देने के अलावा वह एक मां भी हैं। दोनों भूमिकाओं में वह बेहतर काम कर रही हैं। मेजर खुशबू को इस बात का गर्व है कि उन्होंने पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाले असम राइफल्स की महिला दस्ते का नेतृत्व किया। उन्होंने पीटीआई से बात करते हुए कहा था, “असम राइफल्स की महिला टुकड़ी की अगुवाई करना मेरे लिए सम्मान और गर्व की बात है। मैं राजस्थान के एक बस कंडक्टर की बेटी हूं और यदि मैं यह दायित्व पूरा कर सकती हूं तो कोई भी लड़की अपना सपना पूरा कर सकती है।”

मेजर खुशबू ने कहा, “सबसे पुराने अर्धसैनिक बल असम राइफल्स के इतिहास में यह पहली बार है जब महिला टुकड़ी ने परेड में भाग लिया है। इस महिला टुकड़ी का कमांडर बनना मेरे लिए गर्व और सौभाग्य की बात है। हम इस परेड के लिए पिछले पांच महीनों से तैयारी कर रहे हैं। हमने हर दिन सात-आठ घंटे कड़ी मेहनत की। हम सुबह 3 बजे उठ जाते थे और 4:30 बजे राजपथ पर हमारी तैयारी शुरू जाती थी।” खुशबू ने आगे बताया, “असम राइफल्स की महिलाओं इस परेड में शामिल करने के पीछे का विचार नार्थ-ईस्ट के काउंटर इंसर्जेंसी क्षेत्र में उनकी भूमिका है। महिला सैनिकों को भारत-म्यांमार सीमा पर चौकियों में तैनात किया जा रहा है। उन्हें फ्रिस्किंग, पुलिसिंग, गश्त और आंतरिक सुरक्षा कार्यों में ड्यूटी लगाई जाती है।”