महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी दांडी यात्रा (नमक सत्याग्रह) की 90वीं वर्षगांठ पर देश में एकता, समानता, समावेशिता और न्याय के लिए अगले साल दांडी पथ पर पदयात्रा करेंगे। उन्होंने कहा है कि यह यात्रा गुजरात के साबरमती से शुरू होकर दांडी पर खत्म होगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानकार दी है कि यह यात्रा अगले साल 12 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल को खत्म होगी।
तुषार गांधी ने ट्वीट किया ‘मैं दांडी मार्च की 90 वीं वर्षगांठ पर 12 मार्च से 6 अप्रैल 2020 तक साबरमती से दांडी पथ पर चलूंगा। एकता, समानता, समावेश और न्याय में विश्वास करने वालों का शामिल होने के लिए स्वागत है। कार्यक्रम से जुड़े अन्य जानकारियों को जल्द ही सभी से साझा किया जाएगा।’
बता दें कि सन् 1930 के मार्च महीने की 12 तारीख को मोहनदास करमचंद गांधी ने 80 लोगों के साथ साबरमती आश्रम से गुजरात के समुद्रतट पर बसे दांडी गांव तक पदयात्रा शुरू की थी। दांडी तक की 241 मील की दूरी तय करने में उन्हें 24 दिन लगे थे।
उन्होंने इस इस मार्च के जरिए गांधी जी ने अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून का विरोध किया था। गांधी ने इस सविनय कानून को भंग कार्यक्रम था। उन्होंने अहिंसा का सहारा लेकर अग्रेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया था। दुनिया भर में राजनीतिक विरोध के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई आज भी अभूतपूर्व मानी जाती है।
दरअसल गांधी को इस बात का आभास हुआ कि भारत में नमक के प्रोडक्शन और उसपे भारी टैक्स वसुला जाता है तो उन्होंने इसका विरोध करने की ठान ली। ब्रिटिश राज में नमक के उत्पादन और उसे बेचने पर पाबंदी थी। बता दें कि 120 करोड़ की लागत से दांडी में 15 एकड़ में नमक सत्याग्रह स्मारक बनाया गया है। इसमें गांधी जी के साथ दांडी मार्च करने वाले 80 सत्याग्रहियों की भी प्रतिमाएं लगाई गई हैं।
