कम साइबर साक्षरता और सस्ते इंटरनेट ने देश में तेजी से साइबर अपराधों का आंकड़ा बढ़ा दिया है। केवल एक साल में वित्तीय मामलों में अपराधों का आंकड़ा ढाई गुना से अधिक तक बढ़ गया है। हाल ही में साइबर सुरक्षा और साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं को लेकर वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रानिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह रिपोर्ट तैयार की। इसे लोकसभा के पटल पर पेश किया गया। संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि वह डेटा और गोपनीयता को सुरक्षित बनाने के लिए विनियामक तंत्र स्थापित करें।

रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, डेटा चोरी, गोपनीयता भंग करने जैसे कार्यो के लिए साइबर अपराधी प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। कोरोना काल के बाद बुनियादी घरेलू चीजों की खरीदारी से लेकर नौकरी, शिक्षा, बैठक और अन्य वित्तीय लेनदेन पर आनलाइन निर्भरता बढ़ी है।

साइबर अपराधियों ने साइबर अपराध करने के इस मौके का पूरा फायदा उठाया है। गृह मंत्रालय ने वित्तीय अपराध के मामलों की संख्या पूछे जाने पर समिति को बताया है कि वर्ष 2020-21 में वित्तीय अपराधों का आंकड़ा कुल 2.62 लाख था, जो कि वर्ष 2022 में बढ़कर 6.94 लाख हो गए हैं। यह संसदीय समिति का 59 वां प्रतिवेदन है।

क्या है समिति की सिफारिश

समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा की तरफ से पेश की गई इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं और जरूरतों के आधार पर अगली पीढ़ी की पद्धतियों को विकसित करने के लिए सर्वोत्तम वैश्विक पद्धति को अपना होगा। समिति ने इस बात पर भी जोर दिया है कि दुनिया भर में साइबर हमलों को देखते हुए अन्य अग्रणी देशों के साथ समन्वय और सहयोग आवश्यक है। समिति ने केंद्र सरकार को केंद्रीयकृत और अधिकार प्राप्त साइबर सुरक्षा प्राधिकरण और प्रवर्तन क्षमताओं का सुदृढ़ीकरण करने की भी सिफारिश की है।

क्या है केंद्र सरकार का दावा

केंद्र सरकार के मुताबिक साइबर अपराध से निपटने के लिए अगस्त 2019 में एक राष्ट्रीय डिजिटल अपराध पोर्टल शुरू किया गया है। इसके शुरू होने के बाद 23 लाख से अधिक साइबर अपराधों की सूचना मिल चुकी है। इन मामलों में 45,700 एफआइआर और 30,550 एनसीआर दर्ज की गई हैं। आनलाइन शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर 1930 भी उपलब्ध है।

इसके अतिरिक्त वर्ष 2021 में नागरिकों के लिए वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी की शिकायत के लिए एक आनलाइन प्रणाली भी शुरू की गई है ताकि धोखाधड़ी कर निकाले गए धन को तत्काल रोका जा सके और नुकसान को कम किया जा सके। इस श्रेणी में अब तक 2.19 लाख व्यक्तियों के 486 करोड़ रुपए बचाए गए हैं। केंद्रीय भुगतान धोखाधड़ी सूचना रजिस्ट्री (सीपीएफआइआर) पर भी घरेलू भुगतान धोखाधड़ी के मामले में दर्ज किए जाते हैं।

समिति ने केंद्र व राज्य सरकारों के विभागों में साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। समिति ने देशभर में दर्ज साइबर अपराधों से संबंधित प्राथमिकियों में काफी भिन्नता देखी है। जिसका राष्टÑीय फीसद 1.7 है। समिति का मानना है कि मुख्य पुलिस नियंत्रण कक्ष के साथ 1930 हेल्पलाइन का एकीकरण का अभाव है।