Crude Oil News: मध्य एशिया में इजरायल का ईरान, फिलिस्तीन, इराक, साऊदी अरब, संयुक्त राज्य अमीरात में टकराव की स्थिति है। राजनीतिक संकट से लेकर अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में आने वाली अस्थिरता की वजह यह है कि भारत में कच्चे तेल का निर्यात पिछले 13 महीनों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।

अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी मार्केट एनालिटिक्स फर्म केप्लर के अस्थायी पोत ट्रैकिंग डेटा के अनुसार अक्टूबर में भारतीय रिफाइनर्स ने संचयी रूप से 4.35 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल का आयात किया, जो महीने-दर-महीने 7.6 प्रतिशत कम है।

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रूस से सप्लाई में गिरावट

भारत के कच्चे तेल के सबसे बड़े स्रोत बाजार रूस से आपूर्ति में क्रमिक आधार पर 9.2 प्रतिशत की गिरावट आई और यह सात महीने के निचले स्तर 1.73 मिलियन बीपीडी पर आ गई, जो अक्टूबर में भारत के कुल तेल आयात का लगभग 40 प्रतिशत था। रिफाइनरीज के मेटेनेंस सीजन और कच्चे तेल के बाजार में उतार-चढ़ाव के अलावा रूसी कच्चे तेल के कुछ ग्रेड के लिए चीनी रिफाइनरों से प्रतिस्पर्धा ने मॉस्को से तेल आयात में गिरावट में भूमिका निभाई।

सबसे बिजी रहा ये महीना

इराक और सऊदी अरब से तेल आयात की मात्रा में 3.3 प्रतिशत घटकर 0.84 मिलियन बीपीडी और 10.9 प्रतिशत घटकर 0.65 मिलियन बीपीडी रही है। केप्लर में क्रूड एनालिसिस के प्रमुख विक्टर कैटोना ने कहा कि अक्टूबर भारत की ऑफलाइन (रिफाइनिंग) क्षमता के लिए सबसे व्यस्त महीना था, जिससे नवंबर की शुरुआत में पूरे भारत में डाउनस्ट्रीम परिचालन में पूरी तरह से सुधार हुआ, यह आमतौर पर भारत के रिफाइनरों को सर्दियों की मांग की तैयारी में अधिक खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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अक्टूबर के आयात आंकड़ों में दिखी गिरावट

हालांकि, अक्टूबर के आयात के आंकड़े निराशाजनक रहे। भारतीय रिफाइनर या तो संभावित इजरायल-ईरान संघर्ष की संभावना से परेशान थे या उन्होंने कीमतों के बेहतर होने तक खरीदारी टालने का फैसला किया।

कटोना ने कहा कि रूस की बात करें तो भारतीय रिफाइनर अभी भी यूराल की खरीद बढ़ा रहे हैं, 1.47 मिलियन बीपीडी का आयात कर रहे हैं जो जून के बाद से सबसे अधिक है। हालांकि, अन्य ग्रेड जिनमें गर्मियों के महीनों में कुछ सुधार देखा गया था, वे पीछे हट गए हैं क्योंकि चीन ने उत्तरी समुद्री मार्ग के माध्यम से डिलीवरी बढ़ा दी है।

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