मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर नौ अगस्त को राज्य सभा में “भारत में हिन्दू पाकिस्तान” बनने देने के प्रति आगाह किया। येचुरी ने संसद में भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर देश में “नवउदारवादी सुधार छोड़ो” और “सांप्रदायिकता छोड़ो” का आयोजन करने की सलाह भी दी। येचुरी ने कहा कि हमें ये याद रखना चाहिए कि भारत छोड़ो आंदोलन में हिन्दू, मुस्लिम, दलित, ब्राह्मण और राजपूत इत्यादि ने मिलकर भाग लिया था। येचुरी ने कहा, “हमें इसी एकता की वजह से आजादी मिली।” येचुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सदन में भाषण को उद्धृत करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लिए 1942 से 1947 तक का पांच साल का समय काफी महत्वपूर्ण था। उन्होंने साल 2017 से 2022 तक के लिए कुछ लक्ष्य भी निर्धारित किए हैं। हमने उन पांच वर्षों में देश का विभाजन देखा, उस दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हुआ जिसका अंजाम देश के विभाजन के तौर पर हुआ, जिसे अंग्रेजों ने बढ़ाया।”
येचुरी ने कहा कि “अगर आप उन सालों को याद कर रहे हैं तो इस वक्त भी एक अपशकुनसूचक बादल दिख रहे हैं।” भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता रविशंकर प्रसाद येचुरी के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें “प्रधानमंत्री के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए।” इसके जवाब में येचुरी ने कहा, “खुद प्रधानमंत्री ने कहा कि सांप्रदायिकता को भारत छोड़ना चाहिए…मैं बस ये पूछ रहा हूं कि क्या इसे भारत से निकालने के लिए हम कुछ कर रहे हैं?”
येचुरी ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी मनाने का कोई मकसद नहीं होगा अगर ये चीजें देश नहीं छोड़तीं। येचुरी ने कहा कि देश में बेरोजगारी बढ़ाने वाली नवउदारवादी नीतियों को छोड़ना होगा, जिनसे गरीबी बढ़ी है और देश में अमीर और गरीब के बीच खाई चौड़ी हुई है। येचुरी ने कहा कि इन नीतियों की वजह से दो तरह का भारत तैयार हो रहा है एक गरीब के लिए दूसरा अमीर के लिए। येचुरी ने कहा कि साल 2014 में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 49 प्रतिशत देश के एक प्रतिशत लोगों के पास था…आज 58.4 प्रतिशत जीडीपी एक प्रतिशत लोगों के कब्जे में है। येचुरी ने उच्च सदन में पूछा, “क्या 1947 में हमने ऐसे ही भारत का सपना देखा था?”
माकपा नेता ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई कम्युनिस्ट नेताओं के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि सेलुलर जेल में बंद लोगों में से कई कम्युनिस्ट नेता बंगाल और पंजाब से थे। येचुरी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन को हड़पने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दो कम्युनिस्ट नेताओं- एक मौलाना और एक स्वामी ने 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पेश किया था। भारत छोड़ो आंदोलन आम लोगों से जुड़ा है और एक साझी विरासत है।