भाकपा ने आज दावा किया कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा भाजपा का एक और ‘‘ट्रंप कार्ड’’ है । इसने आरोप लगाया कि भाजपा राजनीतिक लाभ उठाने के उद्देश्य से इस मुद्दे को 2019 के लोकसभा चुनाव तक जिन्दा रखने की कोशिश कर सकती है । भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी संहिता पर वर्तमान चर्चा को भाजपा नीत राजग सरकार द्वारा मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए अपनाई गई नीति के रूप में देखते हैं ।
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उन्होंने कहा कि संहिता एक ‘‘भिन्न एवं जटिल मुद्दा’’ है तथा ‘‘इस समय का अत्यावश्यक मुद्दा’’ नहीं है क्योंकि ‘‘पहले से ही कई अन्य समस्याएं मौजूद हैं’’। हालांकि, रेड्डी ने कहा कि ‘तीन तलाक’ के मुद्दे की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है । उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘:मुस्लिम पर्सनल लॉ: में कुछ सुधार होने चाहिए, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि अल्पसंख्यक समुदाय को :इसकी आवश्यकता पर: सहमत किया जाए ।’’ रेड्डी ने कहा, ‘‘यह :संहिता तथा तीन तलाक, तथा अन्य पर चर्चा: ध्यान भटकाने की नीति के रूप में लाई जा रही है । सुधारों के लिए इस तरह की मांगों के बारे में मुस्लिम समुदाय को खुद ही समूचे मुद्दे पर चर्चा करने की आवश्यकता है ।’’
उन्होंने कहा कि अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव से पहले इस तरह की चर्चा राजनीतिक लाभ उठाने के लिए है। यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद मुद्दा ‘‘खत्म’’ हो जाएगा, उन्होंने कहा, ‘‘वे इसे 2019 तक भी जारी रख सकते हंैं । यह :समान नागरिक संहिता का मुद्दा: भारत सरकार की कॉरपोरेट समर्थक, मजदूर विरोधी, जनविरोधी नीतियों पर परदा डालने के लिए अयोध्या, तथाकथित राष्ट्रवाद, देशभक्ति जैसा एक और ट्रंप कार्ड है ।’’