ट्रैवल कंपनी Cox and Kings की धांधली को लेकर नया खुलासा हुआ है। फॉरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने अपनी विदेशी सब्सिडरियों के जरिए ग्लोबल ऑडिट फर्मों की रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की और विदेशी बैंकों के जाली स्टेटमेंट तैयार किए। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा नियुक्त रिसॉल्यूशन प्रोफेशनल और राणा कपूर के निकाले जाने के बाद यस बैंक की आतंरिक जांच में खुलासा हुआ है कि इन्हीं जाली दस्तावेजों की मदद से कॉक्स एंड किंग्स ने अपने लिए बेहतर क्रेडिट फैसिलिटी की सुविधा तैयार की। इसके अलावा इन दस्तावेजों के जरिए कंपनी ने अपनी फ्लैगशिप फर्म कॉक्स एंड किंग्स के वित्तीय दस्तावेजों में भी कथित तौर पर हेरफेर की।

गौरतलब है कि इस ट्रैवल कंपनी ने बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से 5500 करोड़ रुपए का लोन लिया है, जिनमें से 2,267 करोड़ रुपए यस बैंक द्वारा दिए गए हैं। यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर द्वारा कई कंपनियों को गलत तरीके से लोन दिया गया, जो कि अब दिवालिया हो चुकी हैं। इस मामले में राणा कपूर जेल में बंद हैं। बीते माह ईडी ने राणा कपूर मामले में कॉक्स एंड किंग्स के प्रमोटर अजय अजीत केरकर से भी पूछताछ के लिए समन जारी किया था।

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जांच के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, 2018 में मैल्वर्न ट्रैवल लिमिटेड, जिसमें कॉक्स एंड किंग्स के 49 फीसदी शेयर थे, उसने यस बैंक से लोन जुटाने के लिए अपने ऑडिटर BDO LLP के फर्जी सर्टिफिकेट और रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के नकली अकाउंट स्टेटमेंट जमा किए। यह सब यस बैंक से 440 करोड़ रुपए के लोन जुटाने के लिए किया गया।

जुलाई 2019 में मैल्वर्न ट्रैवल और इसकी तीन सब्सिडरी कंपनी सुपरब्रेक मिनी हॉलिडेज लिमिटेड, लेट रूम्स लिमिटेड और मैल्वर्न ट्रैवल टेक्नोलॉजी ने ब्रिटेन में खुद को दिवालिया घोषित किया था। इसके बाद कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी को इन फर्मों का एडमिनिस्ट्रेटर बनाया गया था। केपीएमजी ने 23 जनवरी 2020 को इन फर्मों के असल अकाउंट स्टेटमेंट यस बैंक को दिए।

इन्हीं अकाउंट स्टेटमेंट के जरिए यस बैंक ने आरोप लगाया कि मैल्वर्न कंपनी ने कॉक्स एंड किंग्स ग्रुप की अन्य संस्थाओं को लोन के फंड्स डायवर्ट किए, जिससे मैल्वर्न की एंटरप्राइज वैल्यू पूरी तरह तबाह हो गई।

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दूसरी तरफ रिकॉर्ड्स के मुताबिक, ब्रिटेन की ऑडिट फर्म रैफिंगर्स ने इस सिलसिले में यूके की नेशनल क्राइम एजेंसी में एक आपराधिक शिकायत भी दायर कराई है। इसमें कॉक्स एंड किंग्स की सब्सिडरी कंपनी प्रोमिथियोन एंटरप्राइजेस पर वित्त वर्ष 2019 के वित्तीय दस्तावेजों से छेड़छाड़ के आरोप हैं। रैफिंगर का कहना है कि उसने प्रोमिथियोन के दस्तावेजों पर कोई हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लेकिन कंपनी ने यही जाली दस्तावेज भारत में वैध ऑडिटर्स को भेज दिए। इनमें रैफिंगर से जुड़े नकली वेबसाइट के डोमेन नेम तक दिए गए थे।

मार्च 2020 में ही रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल्स (आरपी) ने कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री (एमसीए) को प्रोमिथियोन की कथित धोखाधड़ी को लेकर जानकारी दी थी। इसमें कहा गया था कि कॉक्स एंड किंग्स के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और कंपनी सेक्रेटरी द्वारा साइन किए गए अकाउंट गलत हैं। आरपी ने एमसीए को बताया था कि यह धोखाधड़ी है।

कॉक्स एंड किंग्स को पेमेंट न चुका पाने के बाद अक्टूबर 2019 में भारत की बैंकरप्सी एंड इंसोल्वेंसी कोर्ट भेज दिया गया। फर्म में जिन बैंकों का कर्ज था उनमें एक्सिस बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंडसइंड, अबुधाबी कमर्शियल बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल थे। यस बैंक का आरोप है कि कॉक्स एंड किंग्स फाइनेंशियल सर्विस लिमिटे ने उसे छेड़छाड़ किया गया डेटर (कर्ज से जुड़ा) स्टेटमेंट भेजा, ताकि बैंक से 400 करोड़ रुपए की वर्किंग कैपिटल फैसिलिटी ली जाए और लोन का गबन हुआ।