महाराष्ट्र में उपभोक्ता फोरम ने एक स्टोर को ‘गुमराह करने वाला विज्ञापन’ देने और ‘छूट वाले प्रोडक्ट पर ज्यादा पैसा लेने’ के आरोप में दोषी पाया और जुर्माना लगाया। फोरम ने पाया कि सीजन सेल के अंत में विज्ञापन दिया गया था कि ‘उक्त कीमत सभी टैक्सों के साथ’ है लेकिन कथित तौर पर ग्राहक से ज्यादा पैसे लिए गए।

मुंबई मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रांद्रा कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेस फोरम (उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम) ने पिछले सप्ताह शॉपर्स स्टोर को निर्देश दिया कि वह गोरेगांव के रहने वाले देवेंद्र नेगी को मुआवजे के रूप में 4000 रुपये दे। साथ ही कंपनी ने जो ज्यादा पैसे लिए थे, वह भी लौटाने का आदेश दिया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, नेगी 1 जनवरी 2015 को मलाड स्थित इनहॉर्बिट मॉल के शॉपर्स स्टॉप पर गए थे। उस समय एंड ऑफ सीजन सेल चल रहा था। स्टोर में एक सैंडल लगा था, जिसके ऊपर ’30 प्रतिशत छूट (शर्तें लागू)’ का टैग लगा हुआ था। नेगी के अनुसार सैंडल की कीमत 1995 रुपये थी और छूट के बाद उन्हें 1466 रुपये चुकाने पड़े। जब नेगी ने सैंडल का बिल चेक किया तो पाया कि टैग में ‘कीमत सभी टैक्स के साथ’ बताई गई थी लेकिन बिल में लिखा था कि सैंडल की कीमत 1280.35 रुपये और 185.65 रुपये वैट के लिए चार्ज किए गए थे।

नेगी ने उस वैट को जोड़ा, जो उन्हें चार्ज किया जाना चाहिए था और एहसास हुआ कि स्टोर ने उसे वास्तव में 12.50 प्रतिशत की दर के बजाय 69.50 रुपये अधिक 14.50 प्रतिशत चार्ज किया था। उन्होंने शिकायत दर्ज करते हुए आरोप लगाया कि उनसे अतिरिक्त वैट वसूल कर किया गया। उन्होंने कानूनी लागत के साथ-साथ होने वाली असुविधा के लिए मुआवजा भी मांगा।

नेगी की शिकायत को शुरू में फोरम ने खारिज कर दिया थी लेकिन बाद में राज्य आयोग द्वारा बहाल किया गया था। स्टोर ने जवाब दिया कि उसने शेष राशि का भुगतान करने की पेशकश की थी, लेकिन नेगी ने इनकार कर दिया। यह भी दावा किया कि यह स्पष्ट रूप से सूचित किया गया था कि छूट वाले प्रोडक्ट पर वैट लगाया जाएगा और वे स्टोर के आसपास दिखाई दे रहे थे। स्टोर ने कहा कि वैट के अतिरिक्त चार्ज के बारे में शिकायत ‘बाद में’ हुई।

स्टोर ने बिक्री और इन-स्टोर साइनेज के बारे में विभिन्न कम्यूनिकेशन के बारे में जानकारी दी और बताया कि कि छूट वाली वस्तुओं पर वैट शुल्क के बारे में किसी तरह की सच्चाई नहीं छिपायी गई। स्टोर ने कहा कि उत्पाद खरीदते समय नेगी को इस शुल्क के बारे में पूरी जानकारी थी।

फोरम ने कैलकुलेट किया कि 1,995 रुपये की मूल कीमत का 30 प्रतिशत 598.50 रुपये था, जिसका मतलब था कि सैंडल की रियायती कीमत 1,396.50 रुपये होनी चाहिए थी और यह माना था कि वैट शुल्क के कारण स्टोर नेगी से अधिक राशि ले ली थी। फोरम ने उल्लेख किया कि विज्ञापन में “अविश्वसनीय रूप से कम कीमतों” और “बिक्री पर 51% तक की छूट” का उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि “इसे पढ़ने वाले किसी व्यक्ति को तुरंत आभास हो जाता है कि उसे 51% की छूट मिल रही है।”