केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को विरोध के कारण अपने एक फैसले को वापस लेना पड़ा है। सरकार ने सैनिकों के बच्चों की पढ़ाई पर दी जाने वाली रियायत को सीमित कर दिया था। इस निर्णय का विरोध शुरू हो गया था। अब रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस व्यवस्था को खत्म करने की घोषणा की है। रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। मंत्रालय ने लिखा, ‘सशस्त्र बलों के अधिकारियों, सामान्य जवानों (पीबीओआर), लापता, निशक्त या कर्तव्य का निर्वाह करते हुए जान गंवाने वाले जवानों के बच्चों की पढ़ाई को लेकर दी जाने वाली रियायत के लिए तय सीमा खत्म कर दी गई  है।’ रक्षा मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी अभय सहाय ने इस बाबत बयान जारी कर फैसले की जानकारी दी है।

सरकार ने शैक्षिक रियायत को 10,000 रुपये तक सीमित कर दिया था। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में छूट के प्राप्त करने की स्थिति भी स्पष्ट की गई है। इसमें कहा गया है, ‘सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, शैक्षणिक संस्थानों और मिलिट्री या सैनिक स्कूलों में पढ़ाई करने की स्थिति में ही शैक्षिक रियायत दी जाएगी। इसके अलावा केंद्र या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले जवानों के बच्चों को भी यह छूट मिलेगी। साथ ही केंद्र या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त ऑटोनोमस संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को भी यह सुविधा मिलेगी।’

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद रियायत की सीमा को खत्म करने का निर्णय लिया गया है। ट्वीटर पर रक्षा मंत्रालय का बयान आते ही लोगों ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं। महेंद्र सिंह ने ट्वीट किया, ‘मैडम (रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण) आपने न सिर्फ सम्मान हासिल किया बल्कि हमारा दिल भी जीत लिया।’ प्रसाद ने लिखा, ‘इससे रक्षा मंत्री के प्रति इस बात को लेकर विश्वास और बढ़ेगा कि वह गंभीर मसलों को जरूर सुलझाएंगी।’ टीएस. आनंद ने ट्वीट किया, ‘निजी संस्थानों को भी इसमें शामिल करने पर और बेहतर होता। इससे उपलब्धता और समीपता के आधार पर अच्छे स्कूलों का चयन किया जा सकता है।’ नरेश ने लिखा, ‘बेहतरीन! इस तरह के फैसले का हर भारतीय सम्मान करेगा।’ ब्रिगेडियर जय कौल ने ट्वीट किया, ‘पुराने फैसले को पलटने और उस पर पुनर्विचार करने के लिए आपका कृतज्ञ हूं। इससे शहीदों के बच्चों को राहत मिलेगी।’