आखिरी मुगल बादशाह के वंशज होने का दावा करने वाले प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने ‘राम की जन्मभूमि’ फिल्म के रिजील पर रोक लगाने की मांग की है। तुसी की इस मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए नसीहत दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की आजादी कायम रहती है, तो इस मामले में लोगों को सहिष्णु बने रहना होगा। जस्टिस विभू बाखरू ने कहा, “सही है या गलत लेकिन अदालत उस विचार के साथ है, जिसमें संविधान के आर्टिकल-19 (अभिव्यक्ति की आजादी) के संबंध में लोगों को सहिष्णु बने रहना होगा।”
हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से यह टिप्पणी खुद को मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का वंशज बताने वाले प्रिंस हबीबुद्दीन तुसी की एक याचिका पर दी। तुसी चाहते हैं कि राम की जन्म भूमि फिल्म को रिलीज नहीं किया जाए। उनका दावा है कि फिल्म में मुगल परिवार और खासकर बाबर को गलत ढंग से पेश किया गया है। हबीबुद्दीन का कहना है कि इस फिल्म के जरिए उन पर और मुगल परिवार पर व्यक्तिगत हमला करने की कोशिश है। इससे राष्ट्र की एकता और संप्रभुता को चोट पहुंचेगी।
अपनी याचिका में खुद को आखिरी मुगल बादशाह का वंजश बताने वाले तुसी ने फिल्म के निर्माता से इसके टाइटल को विवादित बताया है और इसे बदलवाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह फिल्म से उन हिस्सों को हटाने के लिए कहे जिनमें आपत्तिजनक बातें शामिल हैं और इनसे हिंदू-मुसलमान के बीच दंगे भड़क सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि फिल्म का कौन सा हिस्सा या कंटेंट याचिकाकर्ता और उनके परिवार की गरिमा पर चोट पहुंचाने वाला है या फिर राष्ट्र की संप्रभुता के लिए खतरा है। अदालत ने तुसी को निर्देश दिया कि वह मामले में संशोधित याचिका पेश करें।