सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (7 नवंबर) को सभी स्कूलों में योग को जरूरी बनाने के लिए डाली गई एक जनहित याचिका पर विचार करने से मना कर दिया। उस याचिका में सभी स्कूलों में योग को जरूरी करने के लिए कहा गया था। इसपर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस एल एन राव की एक बेंच सुनवाई कर रही थी। बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘आप जाकर लोगों को योग करने के लिए कह सकते हैं। अगर लोगों का मन होगा तो वे खुद ही करने लगेंगे। सरकार और संस्थानों को यह तय करना है कि योग को शामिल किया जाए या नहीं।’
यह जनहित याचिका वकील अश्वनी उपाध्याय ने डाली थी। उनके साथ दो सीनियर वकील एमएन कृष्णामणी और वी शेखर भी थे। तीनों ने मिलकर बेंच को मनाने की कोशिश की थीं। लेकिन बेंच नहीं माना। इसके साथ ही बेंच ने याचिकाकर्ता को पेंडिंग में पड़ी दूसरी पिटीशन में हस्तक्षेप करने से भी रोक दिया। वह पिटीशन जे सी सेठ नाम के वकील ने डाली थी। उसमें भी इसी मुद्दे को उठाया गया है। उसकी अगली सुनवाई 29 नवंबर को होनी है।
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सुनवाई की शुरुआत में मामले को हल्का रूप देते हुए कृष्णामणी ने पूछा, ‘ऐसे दूषित वातावरण में क्या आप योग करते हैं ? क्या आप बता सकते हैं कि आप कौन सा आसन करते हैं ?’ इसपर कृष्णामणी ने प्रणायाम का नाम लिया। इसपर बेंच ने आगे पूछा, ‘योगा सेशन के पूरा होने के बाद कौन सा आसन किया जाता है?’ इसका जवाब कृष्णामणी नहीं दे पाए। फिर टीएस ठाकुर ने खुद जवाब देते हुए ‘शव आसन’ कहा।