केंद्र सरकार में मंत्री चिराग पासवान का एक बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। उनकी तरफ से कहा गया है कि वे सिद्धांतों के लिए मंत्री पद छोड़ने से भी परहेज नहीं करेंगे। उनके पिता भी ऐसा कर चुके हैं। अब इस बयान के बाद से हलचल चल रही है कि क्या सही में चिराग पासवान इस्तीफा देने वाले हैं? क्या वे कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं?
जानकारी के लिए बता दें कि एक कार्यक्रम में चिराग पासवान ने पद छोड़ने वाला बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि जब तक नरेन्द्र मोदी मेरे प्रधानमंत्री हैं, तब तक हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में रहेंगे। मैं अपने पिता की तरह मंत्री पद छोड़ने में संकोच नहीं करूंगा। अब इसी बयान को लेकर हलचल तेज हुई तो चिराग को सफाई देने आगे आना पड़ा। उन्होंने कहा कि वे यूपीए सरकार की बात कर रहे थे क्योंकि एक समय उनके पिता उस सरकार के साथ भी मंत्री थे।
चिराग के बयान पर बवाल, फिर सफाई
उस बारे में चिराग पासवान ने कहा कि मेरे पिता भी संप्रग सरकार में मंत्री थे। और उस समय बहुत सी ऐसी चीजें हुईं जो दलितों के हितों में नहीं थी। यहां तक कि बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीरें भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में नहीं लगाई जाती थीं। इसलिए हमने अपने रास्ते अलग कर लिए। चिराग ने इस बात पर भी जोर दिया कि मौजूदा सरकार दलितों के बारे में उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील रही है। उन्होंने यहां तक बोला कि नौकरशाही में ‘क्रीमी लेयर’ और ‘लेटरल एंट्री’ (सीधी भर्ती) पर केंद्र का रुख इसका बड़ा उदाहरण है।
चिराग के बयान से बीजेपी परेशान?
वैसे चिराग के बयान को लेकर ऐसा कहा जा रहा है कि यह बीजेपी के लिए भी थोड़ा शर्मिंदगी वाला रह सकता है।इसका बड़ा कारण यह है कि राम विलास पासवान ने अटल सरकार के दौरान भी मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। असल में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान ही रामविलास पासवान ने गुजरात के 2002 के दंगों के विरोध में अपना कैबिनेट पद छोड़ दिया था। इसके बाद वह संप्रग में शामिल हो गए और पांच साल तक मंत्री पद पर रहे। रामविलास पासवान 2009 में अपनी लोकसभा सीट हार गए और मनमोहन सिंह के दूसरे मंत्रिमंडल में उन्हें जगह नहीं मिली।